उसामा नदवी | UPUKLive
हिन्दोस्तान एक खुशहाल और विकासशील देश बनता जारहा हे ,Google जैसी बड़ी कम्पनी का CEO का भारतीय होना हमारे देश के युवाओ के लिये गौरवशाली है।
आजका युवा नोजवान हर तरह की सांप्रदायिकता और कट्टरवाद से ऊपर उठकर अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहा हे ,हम अपने जीवन में इस बात को महसूस भी करते हैं, लेकिन आज के युवाओ की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया जाता है, उनके अरमानो और उमंगो पर भी सियासत होने लगी है।
संघ परिवार एक सोची समझी साज़िश के तहत पुरे सिस्टम के साथ आजकी युवा पीढ़ी का ब्रेनवॉश करने पर लगी हुई हे ,ऐसे उग्र नारे दिये जारहे हैं जिनसे आजके युवा रक्त में उबाल आये ,उनके बैकग्राउंड में ऐसा म्यूजिक होता हे जो मानसिक रूप से उत्तेजित करता हो .और इन सबके साथ साथ नेताओ की वो ज़हरीली ज़बान जिसको सुनकर ""आजके साँपो ने भी अपना ज़ेहर बनाना खत्म करदिया हे और सोचने लगे हैं हमें डसने की क्या ज़रूरत जब ये इंसान हमारा काम पूरा करने लगे हैं"
पिछले दो साल से भारत किस रुख पर जारहा हे ? ,इस दशा में इसका भविष्य क्या होगा ? ,इसकी तरफ किसी ने नही सोचा रोज़ मुल्क में एक नया फितना सर उठाता हे ,हर शाम किसी ना किसी गाँधी का क़त्ल होता हे और हर नई सुबह किसी गोडसे को जन्म दे रही हे.
हिन्दोस्तान की अखण्डता एकता अनेकता में हे जिसके अनुरूप संविधान का निर्माण हुआ अब कोई ज़िद करे "हर हर महादेव" का नारा भारत में नही लगा सकते तो ये भारत के लोकतन्त्र के खिलाफ हे इसके संविधान के विरुद्ध हे ,अब कोई ज़िद करे वन्दे मातरम् सब बोलेंगे तो ये एकता होगी अनेकता नही जिससे मुल्क की खूबसूरती खत्म होजायेगी इसको देखते हुये संविधान के निर्माताओ ने सब को अपने अपने धर्म के अनुसार चलने की आज़ादी दी हे ।
अब नया शोर उठा हे "भारत माता की जय"
ये एक नारा हे जिसमे मुल्क को माँ समझ कर उसको ज़िन्दाबाद कहा जारहा हे ,और एक नारा हे "हिन्दोस्तान ज़िन्दाबाद"इसमें भी मुल्क को ज़िन्दाबाद कहा जा रहा हे ,अब क्या अगर अपने मुल्क को माँ ना मानें तो देश द्रोही होजाते हैं ,अगर कोई भारत माता की जय ना कहे वो देश से मुहब्बत नही करता ???????में सवाल करना चाहता हूँ उन लोगो से जो आज घर में अपनी बूढी माँ से तो मुहब्बत करते नही,उसके हक़ अदा करते नही और देश को माँ बताते हैं,आज सेकड़ो बूढी माँ वर्द्धा आश्रम में ज़िन्दगी गुज़ारती हैं क्या ऐसा ही माँ बनाना चाहते हैं भारत माँ को जिसको उसके जवान बैटे भुला बैठे हैं।
होश में आओ एक दूसरे को निशाना बनाकर देश को चलाना बड़ा मुश्किल हे,आजक युवा भारत को सुवर्ण की तरह कांतिमय,गुणमय,सौंदर्य,धन सम्पन्न,दुर्ड शक्तिपूर्ण देखना चाहता हे वो नफरत की आँधी में जीना नही चाहता अगर तुम लड़ते रहे नफरत का कारोबार करते रहे ,भारत माता की जय का नारा देते रहे तो भारत के लिये परमाणु बनाने वाला नही मिलेगा इन सब से तंग आकर अपनी काबिलियत और सलाहियत का लोहा कोई सुंदर पिचाई गूगल को अपनी सेवा प्रदान करेगा और भारत मुँह तकते रह जायेगा ।
युवा को चाहिये बदलाव।
(लेखक ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के वेस्ट यूपी उपाध्यक्ष हैं, ये उनके निजी विचार हैं)