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बारगाह-ए-इलाही में उठे लाखों हाथ, मांगी गई मगफिरत की दुआ

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अज़हर उमरी | UPUKLive

कासगंज/सहावर। शब-ए-बराअत कस्बा में परंपरागत तरीके से मनाया गया । हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग इबादत करने के लिए मस्जिदों में पहंुचे । घरों में रोशनी की गई । शब-ए-बराअत को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए ।

शब-ए-बराअत को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों मंे काफी उत्साह देखा गया । लोगों ने घरों में हलवा और अन्य पकवान तैयार किए । मस्जिद और घरों में पूरी रात इबादत का दौर चलता रहा । शब-ए-बराअत की रात को नफली नमाज से पहले कब्रिस्तान में जाकर और बुजुर्गों की मजार पर जाकर उनके लिए अल्लाह से दुआ की । और अपने गुनाहों की माफी मांगी । इसके बाद नफली नमाज अदा की । 
14, 15 शाबान को अधिकतर मुसलमानों ने नफली रोजा रखा । यह रात हिजरी सन के शाबान अर्थात इस्लामी कैलेण्डर के आठवें महीने की 14 और 15 तारीख के बीच होती है । अकीदा है कि इस रात में लोगों द्वारा साल भर किए गए क्रियाकलापों का लेखाजोखा फरिश्ते अल्लाह के सामने पेश करते हैं । इस रात अल्ला ह बंदों के बेहद करीब होता है । इस रात को मांगी गई अधिकांश दुआएं कबूल की जाती हैं । इसके चलते शब-ए-बराअत पर लोग सारी रात जागकर इबादत करते हैं । अपनी फरियादों को अल्लाह के सामने रखने के साथ ही अपने द्वारा किए गए गुनाहों की माफी भी मांगते हैं । शब-ए-बराअत पर मुस्लिम समाज के घरों में हलवा आदि मिष्ठान बनाकर फातिहा लगाई गई । इसके बाद यतीम, गरीब, मिस्कीनों के घरों में इसका वितरण किया गया । पूर्वजों के कब्रिस्तानों में रोशनी कर सजाया गया ।

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