सहारनपुर।निकाह के बाद भी जब दुल्हन को विदा कराने उसके सुसरालवाले नहीं आए तो वो परिजनों के साथ खुद अपनी बरात लेकर पति के घर पहुंच गई। ससुरालवालों ने न सिर्फ उसे बहू मानने से इनकार कर दिया, बल्कि घर से बाहर भी निकाल दिया। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर हंगामा हुआ और बात थाने तक पहुंच गई। पुलिस और पंचायत के दखल के बाद ससुरालवालों को बहू को घर लेकर जाना ही पड़ा। साथ ही पंचायत ने कहा है कि अगर लड़की को परेशान किया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
न्यूज़ ट्रैक की रिपोर्ट के अनुसार सदफ नफीस का शारिक सईद उर्फ आशू से 19 सितंबर 2015 को निकाह हुआ था। सदफ के परिजनों ने ससुरालवालों से विदा करके ले जाने की बात कही। शारिक के घरवाले कई दिनों तक बात को टालते रहे। इसी बीच उन्होंने शारिक का रिश्ता बुलंदशहर में रहने वाली एक लड़की से पक्का कर दिया। इसके बाद शारिक ने सदफ को ई-मेल के जरिए तलाक लिखकर भेज दिया।
दोनों के घरवालों ने बातचीत के बाद 29 अक्टूबर, 2015 को फिर से निकाह करवा दिया।-इस बार भी ससुरालवाले सदफ को विदा करके घर नहीं ले गए। लंबा वक्त गुजर जाने के बाद 24 मार्च ,2016 को सदफ ससुराल पहुंच गई। शारिक और उसके घरवालों ने उसे धक्के देकर घर से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं, शारिक ने सदफ को पत्नी मनाने से भी इनकार कर दिया।
सदफ अपने परिजनों के साथ रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंच गई। इसके बाद पंचायत में फैसला हुआ कि शारिक 24 अप्रैल को बरात लेकर सदफ के घर पहुंचेगा। शारिक के घरवाले तय तारीख पर सदफ के घर बरात लेकर नहीं पहुंचे। सोमवार को सुबह 10 बजे सदफ खुद अपनी बरात लेकर ससुराल पहुंच गई। वहां शारिक के घरवालों ने उसे बाहर निकालने की कोशिश की। ससुरालवालों ने सदफ की पिटाई भी कर दी।
गुस्साए लोगों ने एक बार फिर पंचायत बुलाकर मामले को निपटाने की कोशिश की। इस बार पंचायत बसपा नेता हाजी अहसान कुरैशी के यहां हुई। करीब छह घंटे चली पंचायत के बाद आखिर में शारिक और उसके घरवालों को सदफ को अपनाना पड़ा। पंचायत ने हिदायत दी कि यदि सदफ को परेशान किया गया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही शारिक के परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
क्या कहना है सदफ का ?
-शारिक सईद उर्फ आशू ने अपनी मर्जी से मेरे साथ निकाह किया था
-बाद में उसने परिजनों के दबाव में मुझे तलाक दे दिया।
-इसके बाद दोबारा 29 अक्तूबर, 2015 को आशू के अब्बू मोहम्मद अहमद काजमी की मर्जी से निकाह कराया गया।
-इसके बाद भी शारिक मुझे लगातार विदाई कराने का झांसा देता रहा।
-24 अप्रैल को उसे बरात लेकर आना था, लेकिन वो बारात लेकर नहीं पहुंचे।
-मैं खुद सोमवार को अपने घरवालों के साथ अपनी ससुराल आ पहुंच गई।
-मुझे मजबूरी में उसे यह कदम उठाना पड़ा।
-इसमें कस्बे के लोगों ने मेरी काफी मदद की। इसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करती हूं।