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नवविवाहिता ने तोड़ी हजारों साल पुरानी परंपरा, ब्राह्मणवाद पर की चोट

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भिवानी। हरियाणा के भिवानी में एक नई नवेली दुल्हन ने हजारों साल पुरानी परंपरा को तोड़ कर ब्राह्मणवाद पर करारी चोट की है। जिले के बाढ़हा कस्बे में एक नवविवाहिता ने ऐसा काम किया है, जिसे करने के लिए पुरुष सोच भी नहीं सकते। हालांकि नई बहू के इस काम से हजारों साल पुरानी परंपरा टूटी है, लेकिन इससे नारी सशक्तिकरण की एक नई मिसाल भी कायम हुई है। बताया जा रहा है कि गांव में इस महिला के एक देवर का लग्न (टीका) का कार्यक्रम था। हिंदू धर्म में लग्न की रस्म निभाने के लिए ब्राह्मण यानी पंडित की जरुरत होती है। इस लड़के के लग्न के लिए भी पंडित का बेसब्री से इंतजार हो रहा था।
गांव के सभी लोग और रिश्तेदार इस समारोह के लिए इकट्ठा हो चुके थे। अब बस इंतजार था तो पंडितजी का। लेकिन काफी इंतजार करने के बाद भी पंडितजी समारोह में नहीं पहुंचे। ऐसे में नवविवाहिता ने अपने देवर यानी होने वाले दूल्हे की लग्न की रस्म निभाने के लिए ये बड़ा कदम उठा दिया। नवविवाहिता ने अपने देवर के लग्न की रस्म को निभाने का फैसला लिया। नवविवाहिता भाभी ने खुले घूंघट से सारे मांगलिक कार्य संपन्न करवा कर नारी सशक्तिकरण की एक नई मिसाल कायम की। हालांकि घर के बड़े-बुजुर्गों और गांव के लोगों ने नवविविाहिता के इस कदम का कड़ा विरोध किया, लेकिन अपने देवर का मांगलिक कार्य समय पर पूरा करवाने के लिए महिला ने हर विरोध का सामना कर नारी शक्ति का अनोखा परिचय दिया।

बता दें कि रविवार को इनेलो अनुसूचित सेल के पूर्व जिलाध्यक्ष और दलित नेता मनफूल सिंह आर्य के चचेरे भाई शिक्षक मुकेश और हरियाणा पुलिस के जवान सुनील का उनके ससुरालजन लग्न-टीका लेकर पहुंचे थे। कार्यक्रम में मेहमान और रिश्तेदार तो पहुंच गए, लेकिन मांगलिक कार्य को पूरा करवाने वाले पंडितजी वहां नहीं पहुंच सके। ऐसे में जब मांगलिक कार्य में देर होने लगी तो गांववालों के बीच खुसर-पुसर शुरू हो गई। कार्यक्रम में पंडित की वजह से हो रही देरी की खबर घर के अंदर घूंघट में बैठी महिलाओं के कानों तक भी पहुंची।

इस पर मनफूल आर्य के छोटे भाई सरकार शिक्षक अनूप सिंह की पत्नी अनीता देवी, जो स्वयं कन्या गुरुकुल पंचगावां की छात्रा रही, ने लग्न कार्यक्रम संपन्न करवाने की बात कही। एक महिला के मुंह से इस तरह की बात सुनते ही समारोह में आए लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई। बड़े-बुजुर्गों ने अनीता की इस बात का कड़ा विरोध किया, लेकिन अनीता ने कहा कि जब सारा परिवार शिक्षित, जागरूक नौकरी पेशे और समाज से कुरीतियों दूर करने के अलावा अधिकार पाने के लिए संघर्षरत है तो उन पर ये बंदिशें क्यों।

इसके बाद अनीता की जिद और समझाइश पर सभी राजी हो गए। फिर अनीता ने समाज की पुरानी रुढ़िवादी परंपराओं को दरकिनार करते हुए तकरीबन 500 ग्रामीणों की मौजदगी में बिना घूंघट के सारा मांगलिक कार्य संपन्न करवाया।

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