अज़हर उमरी | UPUKLive
अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 804 वें सालना उर्स की मजहबी रसूमात चांद दिखने के साथ हो गई। जिनकी सदारत ख्वाजा साहब के वंशज एवं सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान परम्परागत रूप से की।
चांद दिखने के बाद दरगाह अहाते में वाक्ये महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल हुई महफिल खाने में मुनक़द यह रस्म उर्स में होने वाली खास रस्मों में से एक रस्म है। सज्जादानशीन, (दरगाह दीवान) परम्परा के अनुसार इसकी सदारत की। इसमें देश की मुख्तलिफ खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित खासी तादाद में जायरीने ख्वाजा मोजूद रहे। इसके अलावा मुल्क के कोने कोने से आऐ कव्वाल फारसी व हिन्दी में सूफीमत के प्रर्वतकों के लिखे गऐ कलाम पेश किये।
महफिल के दौरान रात को सज्जानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान, उर्स के दौरान ख्वाजा साहब के मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में गये जहां उनके द्वारा मजार शरीफ को केवड़ा व गुलाब जल से गुस्ल दिया जाकर चंदन पेश किया गया। गुस्ल की यह रस्म 5 रजब तक लगातार जारी रही। इसी तरह महफिल खाने में महफिले समा छः रजब यानी कुल के दिन तक बदस्तूर जारी रही।
उन्होने बताया कि 5 रजब को दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान की सदारत में ही खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के ज़िन्दगी में उनके बैठने की जगह) में दोपहर 3 बजे कदीमी महफिले समा हुई जो शाम 6 बजे तक चली। जिसमें मुल्क की मुख्तलिफ दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुख भाग लिया महफिल के बाद यहां विशेष दुआ हुई और सज्जादनशीन साहब दस्तूर के मुताबिक देश के समस्त सज्जादगान की मोजूदगी में गरीब नवाज के 803 वे उर्स की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ (जहां गरीब नवाज अपने जीवन काल में उपदेश दिया करते थे) से मुल्क की अवाम व जायरीने ख्वाजा के नाम संदेश (दुआनामा) जारी किया।
उर्स के इख्तेतम रस्म कुल की रस्म के रूप में 6 रजब को हुई जिसके तहत सुबह महफिल खानें में कुरआन ख्वानी की जाकर 11 बजे कुल की महफिल का आगाज हुआ और कव्वालों ने रंग और बधावा पढ़ा गया तथा दोपहर 1 बजे मोरूसी फातेहाखां द्वारा फातेहा पढ़ी गई यहां सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) को खिलत पहनाया जाकर दस्तारबंदी की गई।
महफिल खाने से दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान अपने परिवार के साथ आस्ताने शरीफ में कुल की रस्म अदा करने जाऐंगे वे जन्नती दरवाजे से आस्ताना शरीफ में प्रवेश करेगे उनके दाखिल होने के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाऐगा। आस्ताने में कुल की रस्म होगी जिसमें फातेहा होगी ओर सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) की दस्तारबंदी की जाएगी दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान आस्ताने से खानकाह शरीफ जाऐंगे जहां कदीम रस्म के मुताबिक अमला शाहगिर्द पेशां ( मौरूसी अमले ) सहित देश भर की दरगाहों से आऐ सज्जादगान एवं धर्म प्रमुखों की दस्तारबंदी करेंगे। कुल की रस्म के बाद देशभर से आऐ फुकरा (फकीर) दागोल की रस्म अदा की जिनके सरगिरोह की दस्तारबंदी भी सज्जादानशीन (दीवान साहब) द्वारा की जाऐगी।
फोटो- महफिले समां खाना में दरगाह दीवान के जानशीन सय्येद नसीरुद्दीन चिश्ती साहब की कयादत में महफिले समां होती हुई।