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पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी की कानूनी मान्यता नहीं : हाईकोर्ट

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इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वाले सरकारी सेवक की मृत्यु पर दूसरी औरत को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इनकार कर दिया है। एक न्यूज़ पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि बच्चा नहीं होने की दशा में पहली पत्नी ने दूसरी शादी की अनुमति दे दी हो। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों को दूसरी शादी की जानकारी देना और उनसे अनुमति लेना जरूरी था। ऐसा नहीं करने की दशा में पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी की कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती।

यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ. डी.वाई. चन्द्रचुड और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने दि‍या है। वे सीतापुर में तैनात रहे पीएसी जवान की दूसरी पत्नी सीमा पाण्डेय उर्फ सुनीता की एकल जज के खिलाफ पारित विशेष अपील की सुनवाई कर रहे थे।
एकल जज ने सुनीता की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने अपने पति की 7 नवम्बर 13 को मृत्यु हो जाने के बाद मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की थी।

पति पीएसी का जवान था और उसकी पहली पत्नी भी जिंदा है। याची पत्नी का कहना था कि पहली पत्नी से बच्चा न होने की दशा में पति सिपाही अशोक कुमार पाण्डेय ने उससे शादी की थी और उससे बच्चे भी है।

विभाग ने इस दूसरी शादी को अवैध मानते हुए नौकरी देने से मना कर दिया था। इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। कोर्ट का कहना था कि पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी शून्य थी और वह भी बिना विभागीय अनुमति के ली गई थी।
फोटो: इलाहाबाद हाईकोर्ट।

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