मुंबई में एक वक्त पर अडल्ट फिल्मों के लिए मशहूर सिनेमा हॉल को मस्जिद बनाया जा रहा है। मुंबई सेन्ट्रल के नागपाड़ा जंक्शन के नजदीक स्थित एलेक्जेंडर सिनेमा का अस्तित्व ही बदला जा रहा है। अंग्रेजी फिल्मों के रोमांचक हिंदी टाइटल और फिर अडल्ट फिल्मों के लिए मशहूर इस सिनेमा हॉल को मस्जिद बना दिया गया है।
1921 में शुरु हुए इस सिनेमा हॉल को 2011 में बिल्डर रफीक दूधवाला ने खरीदा और उसे 'दीनियत'नाम के एक एनजीओ को दे दिया। 'दीनियत', इस्लाम की किताबों की प्रिंटिंग और पूरे राज्य के उर्दू और अरबी स्कूलों में वितरण का काम करता है।
शुरुआत में एलेक्जेंडर सिनेमा थ्रिलर फिल्मों के सनसनीखेज हिंदी टाइटल लगाने के लिए मशहूर था। सन् 2000 के बाद थिएटर ने अडल्ट फिल्में चलाना शुरू कर दिया। हालत यह थी कि, स्कूली बसों ने थिएटर के पास से गुजरना बंद कर दिया ताकि बच्चों को फिल्मों के अश्लील पोस्टरों के गलत प्रभाव की जद से दूर रखा जा सके।
हालांकि, अब एलेक्जेंडर सिनेमा के स्पीकरों से फिल्मों के डायलॉग नहीं बल्कि कुरान की आयतें सुनाई देती हैं। थिएटर में अश्लील फिल्में नहीं बल्कि मस्जिद के मौलवी साहब होते हैं। थिएटर का बाहरी कन्सट्रक्शन वैसा ही है लेकिन अंदर से इसमें काफी बदलाव किए जा चुके हैं। आस-पास के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के लोग इस बदलाव से काफी खुश हैं।
एलेक्जेंडर थिएटर को 1921 में आर्देशिर ईरानी और अब्दुलअली यूसुफअली ने शुरू किया था। सूत्रों के हवाले से शुरुआती दौर में एलेक्जेंडर सिनेमा में अंग्रेजी फिल्मों के कुछ रोचक टाइटल भी पता चले हैं। जैसे कि अल्फ्रेड हिचकॉक की '39 स्टेप्स'के लिए 'एक कम चालीस लंबे', 'डबल इम्पैक्ट'के लिए 'राम और श्याम'और 'ब्रूस ली द लिजेन्ड'के लिए 'बम्बैया दादाओं का दादा'।