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“मुस्लिम महिला भी IAS बन सकती है” – फरह हुसैन

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“पहली बात तो मुसलमानों में शिक्षा की कमी है। उसके बाद मुसलमानों में एक बड़ी कमी यह है कि उन्हें पता ही नहीं कि हमें कौन कौन सी परीक्षा में बैठना चाहिए। शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए यदि हम कम्पीटिशन के इम्तिहान में नहीं बैठेंगे तो सफल कैसे होंगे? मुस्लिम पिता बस इस चिंता में रहते हैं कि लड़कियों की जल्दी से शादी कर दी जाए। ऐसी सोच गलत है। लड़कियों को बोझ न समझें और उन्हें अधिक से अधिक शिक्षा के लिए उत्साहित करें ताकि वह खुद भी कमाल करें और अपने माता पिता का भी नाम रौशन करें।” – फरह हुसैन


चूँकि आज़ादी के इतने दिनों बाद भी हिंदुस्तान में मुसलमानों की तालीमी हालत बहुत अच्छी नहीं है, ऐसे में अगर सिविल सर्विसेस के इम्तिहान में कोई मुस्लिम लड़की सफल हो जाये तो इसे बड़ी कामयाबी माना जाता है। इस बार जिन मुस्लिम को इस कठिन परीक्षा में सफलता मिली है उनमें फरह हुसैन भी हैं। जिन्हें 267वां स्थान प्राप्त हुआ है। 
यहाँ पेश है उसी बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न: सबसे पहले आप अपने फैमिली बैकग्राउंड के बारे में बताएं?

फरह हुसैन: मेरा घर राजस्थान के जयपुर में है। फ़िलहाल हम दौसा में रह रहे हैं। हमारे पिता अशफ़ाक़ हुसैन यहाँ कलेक्टर हैं। मेरी माँ हाउस वाइफ हैं और मेरे बड़े भाई वकील हैं। मेरी स्कूली शिक्षा अजमेर और जोधपुर में हुई जबकि कॉलेज की पढ़ाई मैंने मुंबई यूनिवर्सिटी से की।

प्रश्न: आपको पहली बार यह कब अहसास हुआ कि मुझे भी सिविल सर्विसेस में ही जाना चाहिए?

फरह हुसैन: हमारे खानदान में बहुत से लोग अफसर हैं। हमारे यहाँ शुरू से यह माहौल बन गया था कि मुझे भी इसी मैदान में जाना है। जब मैंने देखा कि घर का माहौल ऐसा है और मेरे पिता सिविल सर्वेंट हैं तो मैंने भी यह फैसला कर लिया कि मैं भी देश की सेवा करुँगी।

प्रश्न: मुस्लिम लड़कियां पढ़ाई पर बहुत कम धयान देती हैं ऐसे में आपके लिए यह कैसे मुमकिन हुआ कि आपने अधिक पढ़ाई भी की और ऐसी कठिन परीक्षा में सफलता भी हासिल की ?

फरह हुसैन: मुझे इस बात की बड़ी ख़ुशी है कि मैं एक पढ़े लिखे घर में पैदा हुई। मुझे मेरे पिता हमेशा यह बताते थे कि अगर इंसान को बड़ा बनना है तो इसके लिए उसे शिक्षा ही हासिल करनी होगी। शिक्षा ही सही दौलत है और उसी की मदद से जीवन में किसी भी ऊँचाई तक पहुंचा जा सकता है। अफ़सोस की बात यह है कि मुस्लिम माता पिता अपनी बच्चियों की शिक्षा पर बहुत कम धेयान देते हैं। हम मुसलमान हर बात के लिए सरकार को तो दोष देते हैं मगर अपना हक़ हासिल करने के लिए खुद बहुत कोशिश नहीं करते।

प्रश्न: सिविल सर्विसेज में मुसलमानों की संख्या हमेशा कम क्यों होती है? आखिर ऐसी क्या कमी है कि मुसलमान यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में बहुत कम संख्या में आते हैं?

फरह हुसैन: पहली बात तो मुसलामानों में शिक्षा की कमी है। उसके बाद मुसलामानों में एक बड़ी कमी यह है कि उन्हें पता ही नहीं कि हमें कौन कौन सी परीक्षा में बैठना चाहिए। शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए यदि हम कम्पीटिशन के इम्तिहान में नहीं बैठेंगे तो सफल कैसे होंगे? मुस्लिम पिता बस इस चिंता में रहते हैं कि लड़कियों की जल्दी से शादी कर दी जाए। ऐसी सोच गलत है। लड़कियों को बोझ न समझें और उन्हें अधिक से अधिक शिक्षा के लिए उत्साहित करें ताकि वह खुद भी कमाल करें और अपने माता पिता का भी नाम रौशन करें।

प्रश्न: जो लोग सिविल सर्विसेस की परीक्षा में बैठना चाहते हैं या चाहती हैं उन्हें आप क्या मशविरा देंगी?

फरह हुसैन: देखिये सबसे ज़रूरी यह है कि आपको करना क्या है यह तय रखें। सही दिशा में मेहनत करें। बार बार एक ही गलती न दोहराएं। यदि ईमानदारी से और सही दिशा में मेहनत की जाये तो किसी भी परीक्षा में सफलता मुश्किल नहीं है।

प्रश्न: आम तौर पर लोग ऐसा सोचते हैं कि सिविल सर्विसेस की परीक्षा में उसे ही सफलता मिलती है जो दुनिया से पूरी तरह से बेखबर होकर सिर्फ पढ़ने में लगा रहता है। क्या ऐसी सोच सही है?

फरह हुसैन: जी नहीं ऐसी सोच बिलकुल ग़लत है। अगर पाबन्दी से रोज़ाना 5-6 घण्टे पढ़ाई की जाए तो यह किसी भी बड़ी परीक्षा में सफलता के लिए काफी है। अलबत्ता यह ज़रूर है कि जो लोग सिविल सर्विसेस जैसी परीक्षा में बैठना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी चीज़ों का इस्तेमाल बहुत कम करें।

प्रश्न: सिविल सर्विसेस की परीक्षा में सफल होने वालों से लोग काफी आशाएं रखते हैं मगर इनमें से बहुत से बाद में बेईमान साबित होते हैं और बड़े बड़े घोटाले करते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

फरह हुसैन: देखिये अफसर भी इंसान ही होते हैं। और जब इंसान हैं तो उनमें अच्छे और बुरे दोनों होंगे। अफ़सोस की बात है कि बेईमानी होती है। मेरी यह कोशिश होगी कि मैं लोगों की उम्मीदों पर खड़ी उतरूं और लोगों में अफसर के लिए जो एक सोच बनी हुई है उसे ग़लत साबित करूँ।

प्रश्न: इस सफलता के बाद आप देश और क़ौम को क्या कुछ खास देना चाहेंगी?

फरह हुसैन: मेरी कोशिश होगी कि मैं पूरी ईमानदारी के साथ देश की सेवा करूँ। मेरी कोशिश होगी कि मैं खास तौर बच्चों और महिलाओं के लिए कुछ कर सकूं। जहाँ तक क़ौम को कुछ खास देने का सवाल है तो ऐसे लोगों की हर मुमकिन मदद को तैयार हूँ जो ऐसी परीक्षा में बैठना चाहते हैं। मेरी कोशिश होगी के लोगों में अवेयरनेस लाऊँ और उन्हें इंस्पायर करूँ।

(साभार इनपुट आज़ाद एक्सप्रेस से)

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