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मुहम्मद रफी गए हज करने, किशोर कुमार बन गए स्टार

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जब-जब हिन्दी फिल्मों की बात होगी, तब-तब गीत-संगीत की बात होगी। हर सिनेप्रमी ये मानता है कि हिंदी फिल्म जगत उसके गीतों के बिना अधूरा है। हिन्दी फिल्में अगर अपने गीतों बिन अधूरी हैं तो इस बात में भी कोई दोराय नहीं हो सकती कि किशोर कुमार के बिना भारतीय सिनेमा का संगीत अधूरा है। लबोलुआब ये है कि किशोर के बिना हम अगर भारतीय सिनेमा का इतिहास लिखेंगे तो ये बड़ा बेरंग होगा। अपने गीतों से भारतीय सिनेमा और हमारी जिंदगियों में रंग भरने वाले किशोर कुमार का आज जन्मदिन है।

चार अगस्त, 1929 को जन्मे आभास कुमार ने फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान किशोर कुमार के नाम से बनाई। किशोर का बड़ा सा परिवार था और वे अपने भाई बहनों में सबसे छोटे थे। किशोर कुमार ना सिर्फ शानदार गायक थे, बल्कि बेहतरीन एक्टर भी थे। उन्होंने कई फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता।
किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में गांगुली परिवार में 4 अगस्त 1929 को जन्म हुआ था उनके पिता का नाम कुंजालाल गांगुली और माता का नाम गौरी देवी था। आजादी से पहले ही सिनेमा पर राज करने वाले मशहूर अभिनेता अशोक कुमार उनके सबसे बड़े भाई थे। किशोर ने बचपन से ही ये तय नहीं किया था कि वो फिल्मों में जाएंगे या क्या करेंगे लेकिन बड़े भाई अशोक कुमार को फिल्मों में देखना उनको भाया और वो भी इसी ओर चले गए।

किशोर कुमार ने इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़ाई की थी। किशोर कुमार के फिल्मी करियर की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में वर्ष 1946 में फिल्म 'शिकारी'से हुई। दरअसल जिस दौर में एक गायक के तौर पर किशोर कुमार का उभार हिन्दी सिनेमा में हो रहा था, वो दौर बदलाव का दौर था। देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे सितारों का करियर ढलान पर था और राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे सितारों का उदय हो रहा था। इस दौर में मुहम्मद रफी की आवाज का जादू हर ओर छाया था।

मुहम्मद रफी 1969 में हज करने को गए, कहा जाता है कि उन्होंने गायकी से रिटायर होकर हज करने और फिर परिवार के साथ वक्त बिताने का फैसला कर चुके थे। रफी की गैर-मौजूदगी और नए आ रहे अभिनेताओं के लिए फिल्म निर्माताओं को किशोर भा गए। जब तक रफी हज करके लौटे किशौर बड़े स्टार बन गए थे। किशोर कुमार ने हर तरह के गाने गाए और उनके गाए हर मूड के गाने बेहद मशहूर हुए।

राजेश खन्ना पर किशोर की आवाज इतनी ज्यादा फबती थी कि किशोर उनकी आवाज ही बन गए थे। कहा जाता है कि राजेश खन्ना खुद भी फिल्म निर्माताओं से किशोर से ही अपने लिए गीत गंवाने की गुजारिश किया करते थे। किशोर कुमार 1975 में फिल्म 'अमानुष'के गीत 'दिल ऐसा किसी ने मेरा'के साथ ही 1978 में 'डॉन'के गीत 'खाइके पान बनारस वाला'के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था।

किशोर कुमार की निजी जिंदगी काफी उतार-चढाव से भरी थी। उन्होंने चार शादियां की। उनकी पहली शादी रुमा देवी से हुई थी। किशोर ने दूसरी शादी भारत की सबसे खूबसूरत हीरोइन कही जाने वाली मधुबाला से की। शादी के 9 साल बाद मधुबाला का इंतकाल हो गया। किशोर ने 1976 में अभिनेत्री योगिता बाली के शादी की लेकिन ये शादी भी ज्यादा ना चल सकी और योगिता ने ये रिश्ता खत्म कर मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। किशोर ने चौथी शादी लीना चन्द्रावरकर से की।

किशोर कुमार की जिंदगी में एक दौर वो भी आया जब उनके गाने पर बैन लगा दिया गया। ये दौर था 1975 से 1977 (इमरजेंसी) का। दरअसल इमरजेंसी के दौरान किशोर को कांग्रेस के एक बड़े कार्यक्रम में बुलाया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। ये बात जब संजय गांधी को पता चली तो उन्होंने किशोर के गाने पर ही पाबंदी लगवा दी। 1977 इमरजेंसी हटी को एक बार फिर किशोर ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

तमाम उलझनों और निजी जिंदगी के तनाव ने किसोर कुमार को काफी कमजोर कर दिया था। 18 अक्टूबर, 1987 नियति ने उन्हें हमसे छीन लिया। किशोर कुमार की दिल का दौरा पड़ने मौत की खबर ने सारे देश को रुला दिया। किशोर दा हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके गाए गीत जब इस दुनिया में संगीत रहेगा तब तक यूं ही गूंजते रहेंगे। साभार - अमर उजाला 

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