पवित्र रमज़ान के अंतिम जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में आयतुल्लाह अहमद ख़ातमी ने कहा कि मुसलमानों ख़ास तौर पर फ़िलिस्तीनी जनता की समझदारी से दुश्मन की फ़िलिस्तीन और पवित्र क़ुद्स के विषय से ध्यान हटाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी।
पर्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस पर ईरान में आयोजित रैलियों में जनता की भव्य उपस्थिति की सराहना करते हुए कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस साम्राज्यवाद और ज़ायोनी दुश्मन की इस्लामोफ़ोबिया की कोशिश के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण क़दम है।
आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातमी ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र लगभग 70 साल से ज़ायोनी शासल की जेल में ज़िन्दगी गुज़ार रहा है, बल दिया कि पश्चिमी देशों ख़ास तौर पर अमरीका ने फ़िलिस्तीन के विषय से जनमत के ध्यान को हटाने के लिए दाइश को वजूद दिया हालांकि उन्हें यह नहीं मालूम कि इस्लामी जगत इस बात की इजाज़त नहीं देगा कि फ़िलिस्तीन के विषय को भुला दिया जाए।
उन्होंने जुमे की नमाज़ के भाषण में तुर्की के इस्तांबोल शहर में हुए आतंकवादी हमले पर खेद जताते हुए कहा कि इस हमले के तार दाइश को तुर्क सरकार की ओर से हासिल समर्थन से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने दाइश के समर्थक देशों को बारंबार इस ओर से सचेत किया था कि दाइश के ख़तरे से एक न एक दिन वह भी नहीं बचेंगे।
आयतुल्लाह सय्यद अहमदी ख़ातेमी ने इसी प्रकार बहरैनी जनता के ख़िलाफ़ आले ख़लीफ़ा शासन की दमनकारी नीति और इस देश के धर्मगुरुओं की नागरिकता रद्द करने के इस शासन की कार्यवाही की भर्त्सना की।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि जुम्हूरी इस्लामी पार्टी के मुख्यालय में बम धमाका और आयतुल्लाह बहिश्ती सहित इस पार्टी के 72 सदस्यों की शहादत, जून 1987 को इराक़ के बासी शासन की ओर से सरदश्त में रासायनिक बमबारी का समर्थन और अमरीकी बेड़े से ईरान के यात्री विमान को मीज़ाईल से निशाना बनाया जाना, अमरीका के इशारे पर ईरान के ख़िलाफ़ आतंकवादी अपराध की घटनाएं हैं जिसे ईरानी राष्ट्र कभी नहीं भूलेगा।