चार साल देह व्यापार का नर्क झेलने के बाद आखिरकार शिवानी (बदला नाम) को वहां से निजात मिली. पिछले दिनों वेश्यालय से भागने में सफल शिवानी गुरुवार को अरसे बाद मां-बाप के साये का सकून पा सकी. चार साल की जिल्लत भरी याद और गोद में एक बच्चे को लेकर लौटी शिवानी को माता-पिता ने उसी ममत्व के साथ अपनाया जो कहीं पीछे छूट गया था.
नेक इरादे के साथ घर से निकली शिवानी को एतबार ने नारकीय जिंदगी झेलने को मजबूर किया या सावधानी में चूक ने, कहना मुश्किल है. दरअसल घर की गरीबी से माता-पिता को परेशान होते देख शिवानी ने उनकी मदद की ठानी थी. इसलिए दारु थाना क्षेत्र के दिगवार पंचायत से हजारीबाग दिहाड़ी मजदूरी के लिए जाने लगी. इसी क्रम में कोर्रा हजारीबाग की एक महिला के साथ उसका परिचय हुआ. मिलते-राह चलते प्यार के दो बोल भी बतिया लेते. एक-दूसरे की खैर पूछ लेते. किसे पता था दुआ सलाम की यह राह चलती दोस्ती किस मंजिल तक शिवानी को पहुंचा देगी. एक दिन कर्रा की इसी महिला ने उसे प्यार से कुछ खाने को दिया. मासूम शिवानी ने खा लिया. उसके बाद उसने खुद को कोडरमा रेलवे स्टेशन पर पाया.
नशा की खुमारी पूरी तरह उतर पाती, इससे पहले ही उसे फिरोजाबाद के एक वेश्यालय में बेच दिया गया. मां बाप को मदद करने के नेक इरादे से घर से निकली बिटिया को लात-घूंसे और मार पीट कर देह व्यापार में झोंक दिया गया. इसी बीच शिवानी गर्भवती हुई और कीचड़ में कमल सा सुंदर बच्चा गोद में आया. अब नर्क से निकलने की चाहत दोगुनी हो गई थी.
बेटे की ठुमकती चाल और उसकी तुतलाती बोली से निहाल मां अब बच्चे के लिए भी भागना चाहती थी. इस बार भी इरादा नेक था और भगवान के घर अंधेर नहीं होता. वेश्यालय की मालकिन एक दिन कहीं निकली तो बच्चे को कलेजे से सटाए शिवानी भाग गई. भागते भागते दम लिया तो बस फिरोजाबाद के दच्छड़ थाने में ही. थाना प्रभारी को चार साल की पूरी दास्तां एक सांस में सुना दी. कोर्ट में पेश की गई. कोर्ट के आदेश से दच्छड़ थाना प्रभारी ने महिला पुलिस के साथ खुद शिवानी को हजारीबाग दारु थाना पहुंचाया.
यहां शिवानी के मां बाप और मुखिया को बुलाया गया. स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक चार साल बाद बेटी को पाकर मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले. पिता ने भर्राए गले से कहा, बिटिया को खाेने के बाद न जाने कहां कहां खोजा. अब संभाल कर रखेंगे.