
फ़ायद ने सस्ता और प्रचुर उत्प्रेरक अलुमिनिसिलिकेट खोज निकाला है जो प्लास्टिक के कचरे को मीथेन और प्रोपेन गैस में बदलने की प्रक्रिया को बहुत सस्ता बनाता है, बाद में उसको इथेनॉल में बदला जा सकता है, जिसे कई वैज्ञानिक बायोफ्यूल कहते है क्योकि फ़ायद ने जो आर्गेनिक केमिकल प्लास्टिक के कचरे से निकाला है वो वही केमिकल है जो सब्ज़ियों से निकाला जाता है और जिससे इथेनॉल बनाया जाता है।
मिस्र हर साल लाखो टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न करता है और एक अनुमान है कि फायद के इस तरीके से प्रतिवर्ष 78 मिलियन डॉलर यानि 5 अरब 22 करोड़ 05 लाख 36 हज़ार भारतीय मुद्रा का बायो फ्यूल उत्पन्न किया जा सकता है।