बहरैन की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता ज़ैनब अल-ख़्वाजा और उनके 18 महीने के शिशु को जेल से रिहा करने का आदेश जारी किया है।
बहरैन की सरकारी न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बहरैन की एक अदालत ने मानवीय आधार पर और शिशु के हित में फ़ैसला सुनाते हुए मां-बेटे को रिहा करने का आदेश दिया है।
हालांकि ज़ैनब की बहन मरयम अल-ख़्वाजा का कहना है कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को नहीं हटाया गया है और उन्हें किसी भी वक़्त फिर से जेल में डाला जा सकता है।
उन्होंने बताया कि मेरी बहन को आज़ाद किया जा रहा है, लेकिन बहरैनी सिस्टम के अनुसार, इस बात की कोई गांरटी नहीं है कि उन्हें कुछ ही दिनों या महीनों में दोबारा सलाख़ों के पीछे नहीं धकेला जाएगा। इसलिए कि यह सिस्टम हर मानवाधिकार कार्यकर्ता को जेल में देखना चाहता है।