दादरी के बहुचर्चित इखलाक हत्याकांड मामले में मंगलवार को उस समय एक नया मोड़ आ गया जब मथुरा स्थित उत्तर प्रदेश सरकार की फॉरेन्सिक लैब की रिपोर्ट में कहा गया कि जांच के लिए भेजा गया मांस गोमांस ही था। हालांकि यूपी पुलिस का कहना है जांच के लिए भेजा गया मांस इखलाक के घर से नहीं, बल्कि उसके घर के पास के तिराहे के पास से बरामद हुआ था।
बता दें कि आठ माह पहले हुई इस घटना के बाद असहिष्णुता को लेकर बहस छिड़ गई थी। मथुरा लैब की रिपोर्ट उस प्राथमिक रिपोर्ट से उलट है जो उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग ने जांच के बाद दी थी। यूपी के पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले साल 28 सितंबर की रात दादरी में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को जिस मांस की वजह से भीड़ ने कथित तौर पर पीट पीट कर मार डाला था वह बकरे का मांस था।
अंग्रेजी अख़बार 'टाइम्स ऑफ इंडिया'से बातचीत में यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि सैंपल के लिए भेजा गया मांस गोमांस ही था। लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि यह सैंपल इखलाक के घर के अंदर से नहीं, बल्कि पास के तिराहे से लिया गया था। उन्होंने कहा कि इससे यह साबित नहीं होता है कि इखलाक ने मांस खाया था या घर में रखा था।
एक वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी ने उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा (पशुपालन) विश्वविद्यालय की फॉरेन्सिक लैब की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि दादरी में मारे गए व्यक्ति के घर से मिला मांस गोमांस था। इसमें कहा गया है कि नमूने की फॉरेन्सिक जांच के रसायनिक विश्लेषण के आधार पर पता चलता है कि यह मांस गाय या गोवंश का था।
अधिकारी ने बताया कि यह रिपोर्ट नोएडा पुलिस के पास भेजी गई और एक सीलबंद लिफाफे में रख कर इसे फास्ट ट्रैक अदालत को सौंप दिया गया। रिपोर्ट में पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि पुलिस ने पूर्व में बताया था कि जिस मांस के नमूने की जांच की गई वह गोमांस नहीं था, बल्कि वह बकरे का मांस था। रिपोर्ट के अनुसार, नमूने को बाद में 'अंतिम निष्कर्ष'के लिए मथुरा स्थित फॉरेन्सिक लैब भेजा गया था।
पिछले साल 28 सितंबर को दादरी जिले के बिसाहड़ा गांव में 52 वर्षीय मोहम्मद इखलाक को भीड़ ने कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला था। भीड़ इस अफवाह के चलते उत्तेजित हुई थी कि इखलाक और उसके परिवार ने गोमांस रखा था और उसका सेवन किया था। इखलाक के परिवार ने मथुरा लैब की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। उन लोगों ने घटना के दिन गोमांस का सेवन किए जाने से हमेशा ही इंकार किया है।
मृतक के भाई चांद मोहम्मद ने कहा 'दादरी पुलिस ने कहा कि यह बकरे का गोश्त था, अब आप कहते हैं कि यह गोमांस था। यह सिर्फ राजनीति है।'उन्होंने कहा 'मथुरा लैब की यह रिपोर्ट छह माह बाद आई है। तब पशु चिकित्सा विभाग की एक रिपोर्ट भी आई थी लेकिन उसमें यह नहीं कहा गया था। हम नहीं जानते कि उन्होंने क्या किया और इसके साथ उन्होंने क्या किया।'
उत्तर प्रदेश में गोवध अपराध है, लेकिन गोमांस का सेवन करना अपराध नहीं है। दादरी की घटना के बाद असहिष्णुता और बीफ की राजनीति को लेकर देशव्यापी बहस छिड़ गई थी और जगह जगह व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। तब कई प्रख्यात लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों ने खुद को मिले पुरस्कार भी लौटा दिए थे।