यूपी के बहुचर्चित दादरी के बीफ कांड का जिन्न बोतल से एक बार फिर से बाहर आ गया है. बीजेपी मृतक अखलाक के घर के फ्रिज से मिले मांस की जांच की मांग करती रही और बीजेपी पर विरोधी दल साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाकर बरामद मांस के बीफ होने से इनकार करते रहे. बहरहाल, 8 महीनों के लंबे इंतजार के बाद फॉरेंसिक जांच के नतीजे में अखलाक के घर में मिले मांस के गाय अथवा उसके बछड़े के मांस होने की पुष्टि हो गई है.
प्रदेश सरकार ने इस मामले पर सियासत आसमान छू जाने के बाद पीड़ित परिवार को लखनऊ बुलाया और मुआवजा देकर उनके आंसू पोंछे थे. 20 लाख रूपये नकद, बीमारी का बेहतर इलाज, नोएडा में फ्लैट. क्या-क्या देकर अखलाक के परिवार को नहीं नवाजा गया. लेकिन अब फ्रिज के मांस के गौमांस होने की पुष्टि के बाद प्रदेश की अखिलेश सरकार क्या करेगी?
प्रदेश १८ की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर-प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम की धारा 2/3 के मुताबिक अब मृतक अखलाक और उसके घर में निवास करने वाले सभी सदस्य गोवध के आरोपी हैं. इसके अलावा, गैंगस्टर कानून के नए संसोधन के मुताबिक गोवध निवारण अधिनियम के आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगना अनिवार्य है. चाहे गोवध की धाराओं में उनके केस में चार्जशीट अथवा फाइनल रिपोर्ट ही क्यों न लग गई हो.
गोवध निवारण अधिनियम के तहत अधिकतम सजा सात वर्ष है. जबकि गैंगस्टर कानून के नये संसोधन के मुताबिक इसकी अधिकतम सजा 10 वर्ष है. ऐसे में कानून के मुताबिक अखलाक के घर के हर उस व्यक्ति के ऊपर गोवध निवारण अधिनियम और गैंगस्टर एक्ट (संसोधित) की धाराएं लागू होती हैं और उनके खिलाफ केस दर्ज होकर उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए.
बता दें कि बीफ के शक में पीट-पीटकर अखलाक की हत्या करने वाले 15 आरोपी आईपीसी की धारा 302 के तहत जेल में बंद हैं.
क्या है गैंगस्टर एक्ट?
यहां यह भी जान लेना आवश्यक है कि गैंगस्टर एक्ट के नए संसोधन को हाल ही में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यूपी में 6 महीने पुराने ऐसे सैकड़ों मामलों में गैंगस्टर एक्ट लगाया गया जो गोवध निवारण अधिनियम, बाल मजदूरी, पशु क्रूरता अधिनियम, यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी, भिक्षावृत्ति, मानव व्यापार और जाली नोटो से संबधित अपराधों से संबंधित थे. ऐसे सभी मामलों की पुलिस ने नये सिरे से समीक्षा कर उन मुकदमें के आरोपियों को जेल भेजा है.