उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में अब पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को योग की शिक्षा दी जाएगी। एनसीटीई ने इसी सत्र से बीएड और एमएड के पाठ्यक्रम में योग को शामिल करते हुए इसे अनिवार्य रूप से लागू करने को कहा है।
इसके लिए संस्थानों को योग से जुड़ी जानकारी के लिए 18 किताबें भी उपलब्ध कराई जाएंगी। उच्च शिक्षण संस्थानों में चलने वाले बीएड, एमएड कोर्स को एक साल से बढ़ाकर दो साल करने के बाद अब एनसीटीई ने इन छात्रों को योग की शिक्षा देने की पहल की है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार बीएड, एमएड के साथ ही डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) के छात्रों के लिए योग की शिक्षा को इस सत्र से अनिवार्य कर दिया गया है। नई व्यवस्था को लागू करने में किसी तरह की कोई कठिनाई न हो, इसके लिए हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में योगा से जुड़ी किताबों के छह अलग-अलग सेट एनसीटीई ने तैयार किए हैं।
संस्थान ये किताबें एनसीटीई से मंगा सकते हैं। एनसीटीई के सदस्य सचिव जगलाल सिंह ने विश्वविद्यालयों-कॉलेजों के साथ ही डायट प्राचार्य को भेजे पत्र में योगा की शिक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल करने को कहा है। साथ ही, बताया है कि योगा किताबों के सेट 9150 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा कर संस्थान मंगा सकते हैं।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेमनारायण सिंह ने कहा कि बीएड और एमएड में योग की शिक्षा अनिवार्य करने की एनसीटीई की पहल सराहनीय है। इससे न केवल छात्रों का योग के प्रति रुझान बढ़ेगा बल्कि आगे चलकर वह एक योग शिक्षक के रूप में कैरियर भी संवार सकेंगे।
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