Quantcast
Channel: Hindi News Live, Breaking News In Hindi, हिंदी न्यूज़- UPUKLive
Viewing all articles
Browse latest Browse all 68053

एक जहन्नुम, जहां रोज मर जाती हैं 500 औरतें

$
0
0
ऐसी जगह इसी दुनिया में हैं जहां 500 औरतें रोज मर जाती हैं, बच्चों को जन्म देते हुए या गर्भ के दौरान. अगर जहन्नुम कहीं है तो इन औरतों के लिए इस दुनिया से बेहतर ही होगा क्योंकि यहां जिंदगी और फिर मर जाना दर्द का सबब है.

यमन में औरतों को डिलीवरी के लिए गुफाओं में छिपना पड़ता है ताकि वे बमबारी की चपेट में ना आ जाएं. सीरिया में बच्चियों की शादी तब कर दी जाती है जब उनके लिए शादी का मतलब गाना-बजाना ही होता है. यूक्रेन में औरतों की जिंदगी उनके घरों में ही जहन्नुम होती जा रही है क्योंकि घरेलू हिंसा में पिछले दो साल में यानी तब से बेहद तेजी से बढ़ोतरी हुई है जब से गृहयुद्ध का संघर्ष तेज हुआ है.
दुनिया का हर हिस्सा जहां कोई न कोई संघर्ष चल रहा है, महिलाओं के लिए दर्द के मंजर अलावा कुछ नहीं है. और यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर बाबातुंडे ओसोटिमहिन कहते हैं कि यह दर्द तब और बढ़ जाता है जब पता चलता है कि बाकी दुनिया के लोग आपके लिए कुछ नहीं कर रहे. यहां तक कि उनकी मूलभूत मानवीय जरूरतें तक पूरी नहीं होतीं.

डीडब्लू की रिपोर्ट के अनुसार ओसोटिमहिन कहते हैं, “ध्यान तो पानी, खाने और बसेरे जैसी जीने के लिए जरूरी बेहद सामान्य चीजों पर है. लेकिन संघर्षरत इलाकों में महिलाओं की जिंदगी इनके अलावा भी तो है. वहां सेक्स भी है और बच्चों का जन्म भी होता है.”
कई अध्ययन यह बात कह चुके हैं कि संघर्षग्रस्त इलाकों में महिलाएं यौन हिंसा और यौन संक्रमणों के खतरे की जद में ज्यादा होती हैं. वहां अनचाहे गर्भ बड़ी समस्या हैं. बीते साल दिसंबर में आई यूएनएफपीए की एक रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध या संघर्षग्रस्त इलाकों में प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान जटिलताओं की वजह से 500 महिलाएं रोज मर जाती हैं. ओसोटिमहिन कहते हैं, “मां बनना तो शांत इलाकों में भी मुश्किल काम हो सकता है लेकिन जब आप युद्ध के बीचोबीच हों या स्मगलरों के साथ किसी नाव पर या किसी रिफ्यूजी कैंप में हों तो प्रेग्नेंट होने का मतलब मुसीबतों का पहाड़ हो सकता है.”

सिर्फ सीरिया में युद्ध से पीड़ित महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए यूएनएफपीए को 10 करोड़ डॉलर्स से ज्यादा धन चाहिए. यूएन के आंकड़े बताते हैं कि सीरिया में जिन डेढ़ करोड़ लोगों को मदद चाहिए उनमें से 40 लाख तो ऐसी महिलाएं हैं जो मां बनने की उम्र में हैं.

कोशिशें हो रही हैं. साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर एक प्रस्ताव पारित किया था. 2013 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा घटाने का आह्वान किया गया. 2014 के लंदन सम्मेलन में रेप के युद्ध में हथियार के तौर पर इस्तेमाल का विरोध हुआ. लेकिन ये सब बैठकों में हुए वादे और इरादे हैं. जमीन पर इनका ना कोई मोल है न चेहरा.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 68053

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>