भोपाल की युवा रेसलर रानी राणा आज देश की एक जानी-मानी रेसलर हैं। लेकिन शायद ही कोई इनके इस सफर में इनके संघर्ष की कहानियों से दो-चार हुए होंगे। जो भी रानी को करीब से जानते हैं आज उनकी जुबान से बस यही निकलता है कि रानी महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिसाल हैं।
रानी के संधर्ष का एक छोटा सा अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब वह पहली बार किसी मेल रेसलर को हराई थीं तो वहां मौजूद सभी लोग उनके लिए तालियां बजा रहे थे लेकिन उनका भाई उन्हें गालियां दे रहा था। लेकिन अपनी राह में आने वाली सभी बाधाओं को लांघ कर रानी आज रेसलिंग के दुनिया में अपना मुकाम बनाने में लगी हुई हैं।
मां नहीं चाहती थी कि घर से बाहर निकलूं
रानी बताती हैं,'भेदभाव और उत्पीड़न से मेरा राब्ता बचपन में ही हो गया था। उसी समय ही मैंने यह ठान लिया था कि समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ मैं आवाज उठाउंगी। लेकिन जब मैंने पहली दफा रिंग में रेसलर को भिड़ते देखा तब ठान ली कि बनूंगी तो केवल और केवल रेसलर। वह बताती हैं कि उनकी मां कभी नहीं चाहती थी कि मैं अपने घर से बाहर निकलूं।
रेसलिंग के प्रति शुरू से था जुनून
रानी की पहली कोच फातीमा बताती हैं कि आज से चार साल पहले रानी पहली दफा मेरे पास आई थी। रेसलिंग के प्रति इसका जुनून देख कर मैं काफी प्रभावित हुई थी। लेकिन जब मैं इसके परिवार से मिलने गया तो इसके परिवार वालों ने साफ इंकार कर दिया। उनका कहना था कि स्पोर्ट्स लड़कियों के लिए नहीं बना है।
कॉस्ट्युम पर उठे सवाल
रानी बताती हैं कि जब मैं रेसलिंग कॉस्ट्युम पहनती थी तो मेरे परिवार वाले ही मुझ पर ताने कसते थे।उनका मानना था कि इससे मैं अपना अंग प्रदर्शन करती हूं। वह कहती हैं कि लाख मुसिबतों के बाद भी मैं अपने सपने को पूरा करने में जुटी रही।
फिलहाल रानी इंडियन कोच अजय विश्वास की निगरानी में इंदौर स्पोर्ट्स अथॉरिटी में ट्रेनिंग ले रही है। रानी रेसलिंग में दर्जनों अवॉर्ड जीत चुकी हैं। हाल ही में वह जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्प पदक भी जीती हैं। अजय बताते हैं कि रानी आज देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का श्रोत है।