साल 2002 में हुए गुजरात दंगों में 'भूमिका निभाने वाले'हिंदू नेताओं और कथित 'मुस्लिम विरोधियों'को टारगेट करने के एवज में अच्छी रकम और साउथ अफ्रीका में नौकरी की पेशकश की गई थी। भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के अंजेडे को अंजाम देने के लिए अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम की D-कंपनी नए 'रंगरूटों'की भर्ती में इस तरह के प्रलोभन दिया करती थी।
6 मई की रिपोर्ट में अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया'ने बताया था कि दाऊद ने मोदी सरकार को कमजोर करने के लिए सामाजिक तनाव फैलाने की साजिश रची थी। अहमदाबाद की एक कोर्ट में D-कंपनी के 10 गुर्गों के खिलाफ दायर की गई नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की चार्जशीट में इन पर हिंदू नेताओं पर हमला करने की बड़ी साजिश रचने का आरोप लगाया है।
इसी साजिश के तहत BJP के पूर्व प्रमुख भरूच शिरीष बंगाली और BJP के यूथ विंग के नेता प्रग्नेश मिस्त्री के कत्ल को अंजाम दिया गया था। मिस्त्री की हत्या पिछले साल की गई थी। NIA के मुताबिक D-कंपनी के आकाओं ने भारत में अपने गुर्गों को शराब की खाली बोतलों में बनाई पेट्रोल बम फेंकने और चर्चों को आग लगाने के लिए भी कहा था। NIA सूत्रों के मुताबिक इसका मकसद सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा करना था।
NIA की चार्जशीट में साफ तौर पर कहा गया है, 'D-कंपनी ने जावेद चिकना के जरिए BJP, RSS, VHP और बजरंग दल के नेताओं को निशाना बनाने की साजिश की थी।'इन हमलों को अंजाम देने के लिए जावेद चिकना ने 50 लाख रुपये की रकम हवाला के रास्ते दुबई से गुजरात भेजने का इंतजाम किया था। मुंबई और सूरत में हथियारों का इंतजाम भी जावेद ने ही अपने संपर्कों के जरिए कराया था।
मिस्त्री और बंगाली की हत्या को अंजाम देने के लिए इसी रकम में से 5 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। इस केस में NIA ने आबिद पटेल, सैयद इमरान, जुहेब अंसारी, इनायत पटेल, मोहम्मद युनूस, हैदर अली, निसारभाई शेख, मोहसिन खान पठान, मोहम्मद अल्ताफ शेख और अब्दुल सलीम घांची को आरोपी बनाया है। आबिद पटेल दाऊद के करीबी जावेद पटेल उर्फ चिकना का भाई है। जावेद पाकिस्तान से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है।