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गुलाम मोहम्मद उर्फ़ गामा पहलवान के जैसा कोई नहीं था, ब्रूस ली भी थे प्रभावित

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जान अब्दुल्लाह 

गुलाम मोहम्मद उर्फ़ गामा पहलवान विश्व के ऐसे पहलवान थे, जिन्होंने अपने कैरियर में कोई कुश्ती नहीं हारी. जहां भी गए कुश्ती जीत कर आये। उनकी इसी बात से मशहूर मार्शल आर्टिस्ट ब्रुस ली भी काफ़ी प्रभावित होकर बॉडी बनाने लगे थे।

जानिये गामा पहलवान के बारे चंद रोचक बाते 

ब्रिटिश काल में जब भारत और पाकिस्तान एक थे तब पंजाब के अमृतसर शहर में 1878 में गुलाम मोहम्मद का जन्म हुआ। प्यार से लोग उन्हें 'गामा'कह कर पुकारते थे. उनके पिता मोहम्मद अज़ीज़ भी जाने माने पहलवान थे गामा ने पिता ही से पहलवानी के गुर सीखे।

गामा ने 10 वर्ष की आयु से पहलवानी करनी शुरू की। एक बार जोधपुर में दंगल प्रतियोगिता हुई जिसमें पूरे देश से हज़ारो पहलवानो ने हिस्सा लिया था।गामा यहाँ भी आये और 10 साल की उम्र में उन्होंने कुश्ती में पेशेवर रूप से शुरूआत की

गामा अपनी डाइट और कसरत पर बहुत ध्यान रखते थे।उनकी ख़ासियत थी कि वे रोज़ाना कसरत करते थे। 5000 बैठकें और 1000 से ज़्यादा दंड पेलने वाले गामा प्रतिदिन तकरीबन 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और 6 देसी मुर्गी खाते थे.


वर्ल्ड चैम्पियन बनने की कहानी भी दिलचस्प है वैसे तो वो विश्व भर में एक प्रख्यात पहलवान के रूप में जाने जाने लगे थे लेकिन लन्दन में उन्होंने पूरी दुनिया को देसी मिट्टी का दम दिखा दिया था। लंदन में जाते ही गामा ने वहां के दिग्गज पहलवानो को चुनौती दी. गामा ने मशहूर पहलवान स्टेनिस्लास जबिस्को और फ्रेंक गॉच को न केवल ललकारा बल्कि उन्हें 9 मिनट 30 सेकंड के अंदर ही धुल चटा दी।


हिन्दुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे के वक़्त गामा लाहौर चले गए और मई 1960 को लाहौर में ही उनका निधन हुआ। अविभाजित भारत के वह एक लेजेंड पहलवान थे, जिन्हें दोनों देशों की जनता प्यार करती है। आज वह हमारे बीच भले ही ना हो किंतु उनकी उपलब्धिया हमेशा रहेंगी

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