इलाहाबाद। इलाहबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्षा ऋचा सिंह सहित कई छात्र नेता को बुधवार शाम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया। छात्रों ने यूनिवर्सिटी के परास्नातक और क्रेट प्रवेश परीक्षा में ऑफलाइन परीक्षा की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू किया था। ऋचा सिंह पिछले 4 दिनों से ऑफलाइन परीक्षा कराए जाने की मांग को लेकर कैंपस में धरने पर बैठी थी।
सोमवार को पुलिस ने हंगामा के दौरान लाठीचार्ज किया था। भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को इसी मुद्दे पर छात्र नेता आमरण अनशन का एलान कर धरने पर बैठ गए थे। इसकी अनुमति यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नहीं दी थी। बुधवार को पुलिस ने जबरन बल प्रयोग कर उन्हें घसीटते हुए परिसर से बाहर कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने एक एक छात्र नेता को पहले घसीटते हुए बाहर किया और अंत में ऋचा को भी जबरन कैंपस से बाहर निकालकर गिरफ्तार कर लिया।
प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता कैंपस में काफी देर तक यूनिवर्सिटी के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। अभी भी कैंपस के आसपास पुलिस बल तैनात है। ऋचा सिंह का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ऑफलाइन परीक्षा को लेकर अड़ियल रुख अख्तियार किए हुए है। ऐसे में हमलोगों का आंदोलन चलता रहेगा।
एसपी सिटी राजेश यादव का कहना है कि यूनिवर्सिटी की ओर से किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक है। लिहाजा, शांति भंग के आरोप में सभी को गिरफ्तार किया गया है। दूसरी ओर इलाहाबाद रेल मार्ग निरंजन पुल पर ट्रेन को रोक कर छात्रों ने ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का विरोध किया।
ऋचा सिंह और कंपनी का कहना है कि यूनिवर्सिटी में ऑफलाइन परीक्षा होनी चाहिए। ऑनलाइन परीक्षा को खत्म करना चाहिए। ऑफलाइन में 80 फीसदी तो ऑनलाइन के जरिए 20 फीसदी ही एडमिशन हुए हैं। गांव से जुड़े लोग नेट का यूज ज्यादा नहीं करते हैं। ऐसे में उन्हें ऑनलाइन माध्यम में मुश्किल होती है। इस सिस्टम को खत्म करना चाहिए। वीसी जबरदस्ती इतना बवाल कर रहे हैं। रिचा सिंह के मुताबिक, उन्होंने पीएम, गवर्नर और प्रेसिडेंट को लेटर भेजा है, जिसमें उन्होंने वीसी की करतूत बताई है।
वहीं, यूनिवर्सिटी के वीसी का मानना है कि बढ़ती टेक्नोलॉजी के हिसाब से ऑनलाइन सिस्टम बेहद जरूरी है। इससे हम आगे बढ़ सकेंगे। उन्होंने बताया कि जो छात्र यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह का फंक्शन, कल्चरल एक्टिविटीज करते हैं, उसका बिल यूनिवर्सिटी देती है। ऐसे में जिन प्रोग्राम्स में 1000 रुपए तक खर्च आया, उसे छात्रों ने 9000 करके दिया। अब इस पर पर्दा डालने के लिए वे लोग दूसरी तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं।