साल 2015 की जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। यूँ तो यह कार्यक्रम का मकसद व्यापक और देशव्यापी था लेकिन इसकी शुरूआत हरियाणा के एक छोटे से शहर पानीपत में हुई जिसके पीछे कई गहरी वाजिब वजह थी। हरियाणा में लिंगानुपात में भारी अंतर है। यहाँ प्रति 1000 लड़को पर लड़कियों की संख्या 903 है। लड़कियों को कमतर मानकर उनके साथ हर कदम पर भेदभाव करना और कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले से अब हर कोई परिचित है। ऐसी अमानवीय घटना यहाँ नई नही है। यहाँ के समाज में इन सब का इतिहास रहा है एक बदनुमा दाग की तरह।
एक ऐसा दाग जो यहाँ के लोगो को काला नहीं दिखा अपनी चौधराहट और अकड़ के सामने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जब तक हमारी मानसिकता 18वीं सदी की है, हमें खुद को 21वीं सदी का नागरिक कहने का कोई अधिकार नहीं। इसके अलावा कन्या भ्रूण हत्या पर करार प्रहार करते हुए उन्होंने कहा था कि मेडिकल शिक्षा का उद्देश्य जीवन को बचाना था, न कि बेटियों की हत्या करना साथ ही मोदी ने नारी सशक्तिकरण पर भी काफी लम्बा-चौड़ा भाषण दिया था और वहां के लोगों से समाज में गहरी जड़े जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता को उखाड़ फेकने का आह्वाहन किया था लेकिन महिला पत्रकार पूजा तिवारी वाले मामले ने इस कार्यक्रम की कलई खोल कर रख दी है। कल सुबह फरीदाबाद के सेक्टर-46 के एक अपार्टमेंट की पांचवी मंजिल से कूदकर अपने दो दोस्तों की मौजूदगी में पूजा ने अपनी जान दे दी।
पत्रकार पूजा तिवारी आत्महत्या मामला क्या है ?
कुछ दिन पहले फरीदाबाद ZEE MEDIA की बेबाक-दमदार महिला पत्रकार पूजा तिवारी ने एक डॉक्टर का स्टिंग ऑपरेशन किया। जिसमे पता चला था कि वह अपने क्लिनिक में चोरी-छिपे भ्रूण हत्या को अंजाम दे रहा था जोकि कानूनन अपराध है। इस छोला-छाप डॉक्टर ने कैमरे के सामने कबूला की इसके तार सिर्फ यही तक सीमित नहीं बल्कि फरीदाबाद के बड़े-बड़े नामी-गिरामी औऱ सरकारी पदों पर बैठे मेडिकल अधिकारियों से जुड़ रहें है। यह गोरखधंधा सालों से अंजाम दिया जा रहा है।
जिसकी खासी मोटी रकम आपस में बंदर-बांट करके खाई जा रही है। इसमें फरीदाबाद के जाने-माने डॉक्टर डा अनिल गोयल और उऩकी बीवी जो अरोड़ा क्लीनिक चलाती है वो भी शामिल है। बेटियों को पेट में ही मारने का काम किया जा रहा था। वो भी हरियाणा में जहाँ पहले से ही बेटियांं की संख्या लड़कों से कम हमेशा आँकड़ो में रहती है। जब पत्रकार पूजा तिवारी ने डॉ गोयल से बात करनी चाही तो डॉ गोयल ने उल्टा स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर पूजा तिवारी पर रंगदारी औऱ ब्लैकमेलिंग के केस लगावा दिए। स्थानीय पुलिस ने पूजा तिवारी से बिना तफ्तीश किेए हुए फटाकट फुर्ती दिखाते हुए डॉ गोयल के कहने भर से केस दर्ज कर लिए और पूजा तिवारी पर दवाब बनाने में लग गई।
कौन-कौन है इस मामले में गुनहगार ?
इतना ही नहीं पूजा तिवारी के खिलाफ औऱ ड़ॉ गोयल के समर्थन में स्थानीय प्रेस क्लब भी उतर आया। डॉ गोयल के कारनामों को बिना जांचे-परखे सिटी प्रेस क्लब जिसके मुखिया दैनिक जागरण के पत्रकार ब्रिजेंद्र बंसल है पत्रकार के खिलाफ पुलिसियाँ कार्यवाही पर साथ-साथ खड़े हो गए। ब्रिजेंद्र बंसल पूजा तिवारी से अपनी पुरानी खुन्नश निकाल रहे थे।
क्योंकि पूजा तिवारी जी मीडिया से पहले दैनिक जागरण के सिटी प्लस फरीदाबाद की बतौर रिपोर्टर रह चुकी थी। पूजा ने दैनिक जागरण में रहते हुए ब्रिजेंद्र के चहेते स्थानीय पार्षद अदलखा के खिलाफ खूब लिखा था। जिसकी खुन्नस निकालने की इंतजार में बैठा ब्रिजेंद्र बंसल कन्या भ्रूण जैसा महापाप करने वाला डॉक्टरों के समर्थन में आकर खड़ा हो गया।
इस प्रकरण में पूजा तिवारी की मदद करना तो दूर प्रेस क्लब ने बिना पड़ताल किए दर्ज किये गए मुक़दमे का भी स्वागत कर दिया। जिस zee मीडिया संस्थान से पूजा जुड़ी हुई थीं उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर लिए। कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। स्थानीय वेब पोर्टलों ने भी एक अपनी ही महिला साथी की मर्यादा को ताक पर रखकर बिना सत्यता का जांच किए गंभीर आरोप लगाना शुरू कर दिए। चौतरफा विरोध की वजह अकेली पड़ी पूजा इस बीच काफी अवसाद में आ गईं थीं।
पूजा के मौत की परिस्थितियां लगभग साफ हैं क्योंकि उनकी मौत के वक्त पूजा के दो साथी वहीं मौजूद थे लेकिन उनमें से एक साथी को ही इस मौत की वजह माना जा रहा है। मौत से महज कुछ मिनट पहले का एक ऑडियो से पता चलता है कि पूजा की मौत आत्महत्या नो नहीं लगती लेकिन अगर आत्महत्या भी है तो भी इसका एक बड़ा कारण उसका साथी अमित वशिष्ठ है जोकि हरियाणा पुलिस में इन्स्पेक्टर है। ऑडियो सुनने के बाद अमित की संदिग्ध भूमिका को आसानी से समझा जा सकता है। लेकिन प्रशासन लगातार इस पक्ष को नज़रंदाज़ कर रही क्योंकि संदिग्ध भूमिका में खुद पुलिस वाला ही है।
इन्स्पेक्टर अमित को हिरासत में लेना तो दूर पुलिस उससे ऑडियो के सम्बन्ध में पूछ-ताछ करने में भी कतरा रही है। ऐसे में अपनी मौत के बाद भी महिला पत्रकार पूजा को इन्साफ मिलना मुश्किल नज़र आ रहा है।
इस पूरे प्रकरण में महिला के साथ भेदभाव और उसका साथ न देने की बात तो साफ नज़र आ ही रही है वहीँ हरियाणा राज्य में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के क्रियान्वयन की अहम जिम्मेदारी है वही प्रशासन आज अपने साथी को बचाने की फ़िराक में लिपा-पोती करता नज़र आ रहा है।
ऐसे में एक बड़ा सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कार्यक्रम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के सामने आकर खड़ा हो गया है। राज्य में लड़कियों को हालत हमेशा से दयनीय रही है। लेकिन एक महिला जोकि एक बड़े मीडिया संस्थान में कार्यरत थी, के साथ इस तरह की घटना इस बात की तस्दीक करती है कि जिनके जिम्मेदारी महिलाओं के छीन लिए गए अधिकार को वापस लाकर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम को सफल बंनाने की थी वही तंत्र आज इसको पलीता लगा रहें है। #बशुक्रिया-बोलता हिंदुस्तान