म्यांमार में पश्चिमी प्रांत राख़ीन में बेघर मुसलमानों के कैंप में आग लगने से लगभग 50 शरणस्थल जल कर राख हो गए जिससे 2000 मुसलमान बेघर हो गए। इर्ना के मुताबिक़ यह वाकिया मंगल को रोहिंग्या मुसलमानों के कैंप में घटी जो 2012 से इस मुल्क़ में चरमपंथी बौद्धधर्मियों के हमले और मुसलमानों के जनसंहार के नतीजे में बेघर हुए हैं।
बर्मा टाइम्ज़ और म्यांमार टाइम्ज़ की बुध की रिपोर्ट के मुताबिक़, अग्निशमन दल ने आग के दूसरे शरणस्थलों तक पहुंचने से पहले उसपर क़ाबू कर लिया। इस घटना में जलने वाले कुछ लोगों का इलाज कराया गया। रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करने वाली एक संस्था के संचालक मैटी स्मिथ ने कहा कि लगभग 500 रोहिंग्या परिवार बेघर हो गए हैं। आग ने 45 मिनट में उनके शरणस्थल को राख का ढेर बना दिया।
आम तौर पर हर शरण स्थल में 6 से 8 मुसलमान परिवार रहते हैं। यह घटना राख़ीन प्रांत में ‘सीतवा’ शरणार्थी कैंप के पश्चिमी भाग में घटी जो तट के नजदीक है। मालूम रहे कि म्यांमार में लगभग 1 लाख 25000 हज़ार मुसलमान हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में रोहिंग्या कहा जाता है। यह मुसलमान, कैंपों में ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं। इसी प्रकार उनकी आवाजाही पर भी रोक लगी हुई है।
म्यांमार सरकार 1982 के क़ानून के तहत रोहिंग्या मुसलमानों को इस मुल्क़ की स्थानीय जनता का हिस्सा नहीं मानती, बल्कि वह उन्हें बंगाली कहती है। म्यांमार सरकार का यह दावा है कि इस मुल्क़ में रोहिंग्या मुसलमान, बंग्लादेश से ग़ैर क़ानूनी तौर से आए हैं।