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औरतों को पसंद आते हैं दाढ़ी वाले मर्द?

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आजकल आप जिधर नज़र दौड़ाएंगे दाढ़ियों का बोलबाला दिखेगा. दाढ़ी बढ़ाने का ये चलन नया है. कोई बेतरतीब बालों वाली दाढ़ी रखे हुए है तो किसी के चेहरे पर स्टाइलिश दाढ़ी दिख रही है. सवाल उठता है कि आख़िर इंसान के लिए दाढ़ी की ज़रूरत ही क्या है? बहुत से आदमियों, बच्चों और महिलाओं का काम दाढ़ी के बग़ैर चलता ही है. तो आख़िर इंसान के विकास में दाढ़ी का क्या रोल है?


आज दाढ़ी फ़ैशन स्टेटमेंट बन गया है. हर तरह के फ़ैशन का मक़सद एक ही होता है. ख़ुद को अच्छे से पेश करना. और, ये इरादा होता है अपने लिए पार्टनर तलाशने की मुहिम का हिस्सा. अक्सर मर्द, औरतों को लुभाने के लिए फ़ैशन के तरह तरह के तजुर्बे करते हैं. आजकल दाढ़ी रखने का चलन है. मगर, दाढ़ी से महिलाएं प्रभावित होती हैं, इसका कोई पक्का सबूत नहीं. कुछ सर्वे कहते हैं कि महिलाओं को मर्दों के चेहरे पर दाढ़ी अच्छी लगती है. तो कई रिसर्च ये भी कहते हैं कि औरतों को क्लीन शेव्ड मर्द पसंद आते हैं.
कुल मिलाकर स्थिति कन्फ्यूज़न की है. तो, सवाल ये उठता है कि दाढ़ी के फ़ायदे क्या हैं? वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसान की तरक़्क़ी के इतिहास में दाढ़ी, मर्दों को औरतों से अलग दिखाने के लिए विकसित हुई थी. इससे मर्दों के ताक़तवर होने का एहसास होता है.

असल में, हर नस्ल के जीव जवां होने पर साथी तलाशते हैं. ज़रूरत अपनी अगली नस्ल पैदा करने की होती है.
इंसान भी अपने पार्टनर तलाशते हैं, संबंध बनाने और बच्चे पैदा करने के लिए. पार्टनर की तलाश में ये तो ज़रूरी है कि आप औरों से अच्छे दिखें. मगर यही ज़रूरी नहीं. अपने से होड़ करने वालों से ख़ुद को हर तरह में बेहतर साबित करना ज़रूरी होता है.

अब कोई शर्मीला है, कमज़ोर है तो वो महिला साथी को जीत पाने में बमुश्किल ही कामयाब होगा.उसके मुक़ाबले बिंदास, स्मार्ट और ताक़तवर लोग बाज़ी मार ले जाएंगे.  तमाम रिसर्च से ये पता चला है कि औरत हो या मर्द सबका यही मानना होता है कि जिसके दाढ़ी होती है, वो ताक़तवर, तजुर्बेकार और आक्रामक होता है.

अब जब किसी के बारे में ये ख़्याल हो तो उसका पार्टनर चुनने में बाज़ी मारना कमोबेश तय होता है. उसके मुक़ाबले किसी महिला को रिझाने में जुटे लोगों को उसके डर से पीछे हटना पड़ता है. बच्चे पैदा करने के लिए पार्टनर की तलाश में अपना असर दूसरों पर छोड़ना बहुत अहम है. इससे किसी इंसान के मुक़ाबले खड़े दूसरे लोग मैदान छोड़ देते हैं, अगर आप अपना प्रभाव बेहतर तरीक़े से जमा पाते हैं.

शायद यही वजह है कि आज एशिया की आठ फ़ीसद आबादी, मशहूर मंगोल आक्रमणकारी चंगेज़ खां और उनके परिवार की वंशज कही जाती है.

ब्रिटेन में 1842 से 1971 के बीच बालों और दाढ़ी के फ़ैशन पर एक अध्ययन हुआ था. इसके मुताबिक़ जो चलन इस दौर में था उसका सीधा ताल्लुक़ अपने लिए महिला साथी की तलाश से जुड़ा था. उस दौर में ब्रिटिश समाज में अकेले मर्दों की अच्छी ख़ासी तादाद थी. उनके मुक़ाबले महिला साथियों की कमी थी. लिहाज़ा, मर्दों में दाढ़ी-मूंछ रखने का चलन ख़ूब था. किसी मर्द के पॉवरफ़ुल होने की निशानी सिर्फ़ दाढ़ी नहीं. उसकी आवाज़ भी इसमें बड़ा रोल निभाती है. ताक़त की नुमाइश करने वाले मर्दों की आवाज़ बाक़ी लोगों से अलग होती है. लोग भी ऐसे नेता को चुनते हैं जिसकी आवाज़ में जोश, मगर पिच कमज़ोर होती है.

ब्रिटेन में दाढ़ी मूंछ और आवाज़ की अहमियत समझने के लिए एक प्रयोग हुआ. इसमें छह लोगों के वीडियो बनाए गए जो कभी कभी दाढ़ी-मूंछ रखते थे. इसके बाद कंप्यूटर की मदद से उनकी आवाज़ में बदलाव किए गए. फिर बीस मर्दों और बीस औरतों से उनके बारे में अपनी राय बताने को कहा गया.

जो जवाब मिले उनके मुताबिक़, भारी आवाज़ वाले मर्दों को महिलाओं ने ज़्यादा पसंद किया. हालांकि बहुत ज़्यादा भारी आवाज़ भी महिलाओं को नहीं भायी. दाढ़ी-मूंछ की वजह से लोगों की राय पर बहुत असर नहीं पड़ा. मगर जिन्होंने दाढ़ी बढ़ाई हुई थी, उन्हें ज़्यादा पसंद किया गया.

महिलाओं को लुभाने के लिए मर्दों के बीच सिर्फ़ दाढ़ी और आवाज़ का ही मुक़ाबला नहीं होता. बहुत से लोग ये मानते हैं कि इसके लिए उनका बलवान और मज़बूत दिखना भी ज़रूरी है. शायद यही वजह है कि आजकल युवाओं में बॉडी बनाने का ख़ूब चलन है. मर्दों के मुक़ाबले महिलाएं सोचती हैं कि उनके लिए दुबला-पतला दिखना और ढेर सारा मेकअप करना ज़रूरी है.

हालांकि सबकी राय एक जैसी हो ये ज़रूरी नहीं और इंसान एक दूसरे को पहचानने में अक्सर ग़लती करते हैं. वैसे दाढ़ी बढ़ाकर, या मेकअप की मदद से आप कुछ लोगों का दिल तो जीत सकते हैं. लेकिन एक ही फॉर्मूले से आप सबको पटा लेंगे, ये सोचना बिल्कुल ग़लत होगा.

तो आप कोशिश जारी रखिए. नए फॉर्मूले आज़माते रहिए. अभी दाढ़ी रखने का चलन है. क्या पता आगे चलकर कौन सा फ़ैशन आए. (बीबीसी रिपोर्ट)

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