अज़हर उमरी | UPUKLive
आगरा।ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स झण्डों के जुलूस के साथ शुरू हो गया है। रजब की छह तारीख़ को छठी अजमेर शरीफ में छठी का कुल की रस्म अदायगी में काफी तादाद में ज़ायरीन इकट्ठा हुए। कुल की रस्म के बाद महफिले समां का इनक़ाद किया गया।
हिन्दल वली ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती (ग़रीब नवाज़) की छठी के मौके पर उमड़ा अक़ीदतमंदों का सैलाब अहाते में उमड़ा। अक़ीदतमंदों के आने का इंतेज़ाम बड़े पैमाने पर सड़कों पर किया जा रहा था। ज़ायरीनों की बसें जैसे ही हाईवे पर किसी कैम्प पर रूकती थी उनके ठहरने और खाने-पीने का इंतेज़ाम किया जा रहा था। उर्स के मौके पर ज़ायरीन और अकी़दतमंद मुल्क के कोने-कोने से और बहरूनी मुमालिक से ख़्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती रह की छठी को देखने के लिए बड़ी -बड़ी दूर से लोक अपनी अकीदत के साथ अजमेर शरीफ़ आये।
पैदल अपनी धुन में चल रहे थे अकीदतमंद
अजमेर के रास्ते में एक तरफ पत्थरों के पहाड़ तैनात दिख रहे थे तो वहींे दूसरी तरफ ख़्वाजा के दीवाने अपनी धुन में पैदल ही चले जा रहे थे। चारों तरफ ख़्वाजा के दीवाने ख़्वाजा की छठी में जाने को मंलग दिखे। इंकलाब आगरा का नुमाइंदा जब आगरा से अजमेर गये यह देखा गया कि हर तरफ ख़्वाजा के उर्स के लिए ट्रैकिक जाम मिला। अेजमेर की गलियों में निकलना मुश्किल था बड़ी मुश्किल से एक जगह से दूसरी जगह तक जाया जा रहा था।
ट्रेनों में नहीं थी पैर रखने की जगह
ट्रेनों में पैर रखने की जगह तक नहीं थी। ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती रह. का उर्स के चलते छठी के कुल में शामिल होने के लिए मुल्क के कोने कोने से अक़ीदतमंद का सैलाब अजमेर की गलियों में देखने को मिला।
अजमेर के होटल गैस्ट हाउस में नहीं थे
उर्स में बाहर से आये ज़ायरीनों को होटलों और गैस्ट हाउस में कमरे नहीं मिल पा रहे थे। ज़ायरीन लोग जहां जगह मिल रही थी वहीं रहने को तैयार दिखे। होटलों और गैस्ट हाउस वालों ने अपने रूम के किरायों को बढ़ा रखा था। गैस्ट हाउस वाले मैनेजरों का कहना है कि उर्स के वक्त अभी रूम जो कि पहले आम दिनों में 1500 रूपये 24 घण्टे में उठता है वह उर्स के दौरान करीब 32,000 तक पहुंच जाता है।