लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम महिलाओं के हक को लेकर सुनवाई कर रहा है. एक मुस्लिम महिला की दरख्वास्त पर तीन तलाक़ के मामले में केंद्र सरकार और बाल विकास मंत्रालय से जवाब माँगा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है की कानूनी तजवीज के तहत इन मुद्दों पर कोर्ट में गौर नहीं किया जा सकता है. वहीँ हिन्दू लीडरों का कहना है की इंडिया से शरियत कानून को ही ख़त्म कर देना चाहिए.
पिटीशन में सायरा बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े रूल्स को ख्वातीन को फंडामेंटल राइट्स का हनन बताया है . सायरा बनो ने याचिका दाखिल कर बराबरी का हक देने की बात कही है. 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम ख्वातीन के हक को लेकर खुद नोटिस लिया था. इस मामले में सुनवाई चल रही है.
साध्वी प्राची का कहना है की इंडिया से शरियत कानून ख़त्म होना चाहिए. उन्होंने कहा है की शरियत कानून का बहाना बनाकर मुसलमान महिलाओं को पैरों की जूती और अपनी खेती समझते हैं. ये लोग तीन बार तलाक़ बोलकर ख्वातीन की ज़िन्दगी को जहन्नुम बनाकर उससे खिलवाड़ करते हैं. उन्होंने कहा की कोर्ट का जो फैसला आये उसे सबको मानना चाहिए.
योगी आदित्यनाथ ने कहा है की भारत कानून से चलती है. जब भारत में रहनेवाले तमाम मज़ाहिब के लिए एक कानून है तो मुसलमान भी इसमें शामिल है. उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए. जब दुनिया आगे बढ़ रही है तो तीन तलाक़ जैसे कानून को बदलना ही चाहिए.
इधर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी का कहना है की सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ी कोर्ट है. लेकिन कानूनी तजवीज के तहत इस मामले पर कोर्ट अपना फैसला नहीं सुना सकती. उन्होंने कहा की कोर्ट में हमने अपना हक रख दिया है . हलांकि, हिन्दू लीडरों के बयान पर जफरयाब जिलानी का कहना है की योगी और साध्वी इस मामले में बोलने वाले कौन हैं? क्या वह ठेकेदार है किसी के? उन्होंने कहा की इस तरह के बयान गैर जिम्मेदाराना है