अलीगढ़। आज यह बात पूरी तरह से जगज़ाहिर हो चुकी है कि शैक्षिक पिछड़ेपन में मुस्लिम महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है जबकि कुरान में 500 से अधिक आयतें शिक्षा से संबंधित हैं, जिनमें शिक्षा के महत्व और उपयोगिता को साफ शब्दों में स्पष्ट किया गया है। फिर क्या कारण है कि मुस्लिम महिला शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं हो रही हैं। इसी विषय पर अलबरकत एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में दो दिवसीय संगोष्ठी के अवसर पर देश भर से आए शिक्षाविदों ने गौरोफ़िकर किया और सकारात्मक बातें भी पेश किए।
एक न्यूज़ पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार आईपीएस अनुराधा शंकर सिंह ने कहा कि हुज़ूर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं पर भी विचार करें तो उन्हों ने भी महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है।
समस्याओं और उनका हल ‘संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि जहां एक व्यक्ति को शिक्षित करने से वह साहब भूमिका बनता है वहीं एक औरत जब शिक्षित होती है तो दो परिवारों को शिक्षित बनाती है। आज जरूरत इस बात की है कि उनकी शिक्षा को एक मिशन बनाया जाए ताकि वे शिक्षित होकर एक बेहतर समाज का गठन कर सकें।
संगोष्ठी में कहा गया कि महिलाओं के बराबरी के अधिकार हर धर्म में दिए गए हैं लेकिन इस पर अमल नहीं होना चिंताजनक है। इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकारों के प्रति सख्त निर्देश हैं और उन्हें शिक्षित करने की कई हदीसों मिलती हैं। इन सबके बावजूद आज मुस्लिम महिलाएं ही शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछड़े हैं।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य यही था कि मुस्लिम महिलाओं के विकास के वर्तमान पहलुओं पर देश भर के विशेषज्ञों चिन्ता सकें ताकि इस सिलसिले में कोई सकारात्मक कार्य योजना तैयार की जा सके।