राजस्थान के जोधपुर के 'आदर्श मुस्लिम गौशाला'में हर रोज की तरह शहर से ऐसी गायों को लाया जाता रहा, जो अपने मालिकों द्वारा बूढ़ी होने पर त्याग दी गई थीं या बीमार हो कर शहर की ठोकरें खाने को मजबूर थीं।
दोपहर की नमाज के बाद सफ़ेद कुर्ता-पजामा पहने, सर पर गोल टोपी लगाये और दाढ़ी बढ़ाये हाजी मोहम्मद अतीक सीधा इस गौशाला का रुख करते हैं और अपना दिन गायों की सेवा में देते हैं।
जोधपुर की 'मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी'द्वारा संचालित इस गौशाला में 200 से ज़्यादा गायें हैं, जो बीमार होने की वजह से लोगों द्वारा ठुकराई गई हैं. इन गायों के इलाज के लिए डॉक्टर्स की एक टीम नियुक्त की गई है, जो निरंतर शहर से बीमार लाई गई गायों का इलाज करती है। इस गौशाला के सेक्रेटरी मोहम्मद अतीक का कहना है कि "हम पिछले 8 सालों से इस गौशाला को चला रहे हैं. हमारे लिए गायों की सेवा करने का अनुभव मां की सेवा करने के जैसा है. यह सदियों से चले आ रहे हमारे भाईचारे का भी प्रतीक है"
हर सुबह हरे चारे से भरा एक ट्रक लूणी से जोधपुर आता है, जिसे नमाज़ के बाद गायों को दिया जाता है. ईद जैसे खास मौकों पर गायों को खीर भी दी जाती है. हर हफ्ते एक मोबाइल वैन आस-पास के गांवों का मुआयना करके बीमार गायों का इलाज करती है और उनका वैक्सीनेशन करती है। जनरल सेक्रेटरी अतीक का कहना है कि यहां 56 एकड़ में फैली 'मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी'के कैंपस में वो एक रिसर्च सेंटर बनाने की योजना बना रहे हैं, जो गायों के हित के लिए शोध करेगी। एक मुस्लिम द्वारा संचालित यह गौशाला आस-पास के इलाके में खासी प्रसिद्ध हैं।