नई दिल्ली। भारत में खिलाड़ियों की कितनी कद्र है? सरकार और खेल संस्थाएं उनका कितना ख्याल रखती हैं? इस बात का अंदाजा आपको रियो ओलंपिक में भाग लेने वाली धावक ओपी जेयशा के साथ हुई घटना से हो जाएगा।
रियो ओलंपिक में भाग लेने खिलाड़ियों के साथ अधिकारियों का एक बड़ा दल गया था लेकिन, इस घटना से तो ऐसा ही लगता है कि ये अधिकारी सिर्फ वहां सैर सपाटा करने गए थे। उन्हें खिलाड़ियों की कोई फिक्र ही नहीं थी।
भारत के लिए महिलाओं की मैराथन (42.195 किमी) में भाग लेने वाली ओपी जेयशा को दौड़ के दौरान कोई भी व्यक्ति पानी देने के लिए मौजूद नहीं था। वह बगैर पानी के ही मैराथन में दौड़ती रहीं। जबकि दूसरे देश के एथलीट्स को प्रत्येक 2.5 किमी की दूरी पर पानी और ग्लूकोज उपलब्ध देने के लिए अधिकारी मौजूद थे। इसका नतीजा यह हुआ कि प्यासी जेयशा जब तक हिम्मत रही दौड़ती रहीं और रेस समाप्त होने के बाद बेहोश होकर गिर पड़ीं।
जेयशा ने बताया कि रिफरेशमेंट प्वाइंट्स पर भारत की डेस्क खाली पड़ी थी, वहां भारत का नाम लिखा था और झंडा लगा था लेकिन वहां पानी पिलाने को कोई मौजूद नहीं था। जेयशा ने कहा कि पता नहीं बिना पर्याप्त पानी के वह दौड़ कैसे पूरी कर पाईं। उन्होंने दौड़ पूरी करने में 2 घंटे, 47 मिनट और 19 सेकेंड का समय लिया। और 89 वें स्थान पर रहीं। उन्होंने बताया कि आयोजक 8 किमी की दूरी पर पानी का स्पंज उपलब्ध करा रहे थे जो चिलचिलाती धूप में 500 मीटर के लिए ही पर्याप्त था, उसके बाद फिर वही स्थिति थी। चिलचिलाती धूम में बिना पानी के इतनी दूर दौड़ना असंभव था।
जायशा के अलावा एक अन्य धावक कविता ने भी दौड़ में शामिल थी। बेहोश होने के 2-3 घंटे बाद जेयशा को होश आया। तब उन्हें मालूम हुआ कि उन्हें ग्लूकोज की 6-7 बॉटल तब तक चढ़ाई जा चुकी थीं। उस वक्त भी दल का डॉक्टर उनके पास उपस्थित नहीं था। उनके साथी धावकों ने उनकी मदद की। कोच निकोलई कुठ घंटों तक वहां थे लेकिन उन्हें भी कुछ देर बाद आयोजकों ने वहां से हटा दिया।
आईएएएफ के नियमों के मुताबिक ऑफीशियल प्वाइंट्स के अलावा अन्य चार स्थानों पर सभी देश अपने एथलीट्स के लिए रिफरेशमेंट और पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। एथलीट्स के लिए रिफरेशमेंट उपलब्ध कराना फेडेरेशन की जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा अन्य देश के एथलीट के लिए रखा गया पानी खिलाड़ी नहीं पी सकता। ऐसा करने पर उसे डिस्क्वालीफाई किया जा सकता है।