क़ाज़ी सबीह अहमद एडवोकेट | UPUKLive
हिंदुओं में सिर्फ़ 73 नहीं बल्कि हज़ारों फ़िरके मौजूद हैं मगर धर्म के आधार पर वो कभी नहीं लड़ते । सिखों में अकाली व निरंकारी कभी एक दूसरे के मतभेद के बावजूद नहीं लड़ते । दिगम्बर जैन और श्वेतामबर जैन दोनों समुदायों में बहुत ज़बरदस्त मतभेद है कि दिगम्बर मुनि नंगे रहते हैं और श्वेताम्बर सिर से पैर तक श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, मगर क्या मजाल है कि अपने प्रवचनों के दौरान एक दूसरे की आलोचना करें या गालियों से नवाज़ें ।
ईसाइयों में रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट फ़िरकों के बीच प्रारम्भ में कड़वाहट रही मगर जल्द ही दोनों को अक्ल आ गयी और उन्होंने लड़ना बंद कर दिया ।
पूरी दुनियाँ में सिर्फ़ मुसलमान ही ऐसी बेवकूफ कौम है जिसने अपने दीन की छोटी छोटी बातों पर बड़े बड़े विवाद खड़े किये और बेशुमार फ़िरके बना डाले। हर फ़िरका अपने आप में एक दीन बन गया और उसने सिर्फ़ खुद को मुसलमान और दूसरे फ़िरकों को काफ़िर समझना शुरू कर दिया।
जिस कौम का दीन एक रब एक रसूल एक कुरआन एक किबला एक हो फिर भी हज़ारों तरह के मज़हबी झगड़े ? आखिर अल्लाह इन पागलों पर अपनी रहमतें क्यों नाज़िल फ़रमाये और क्यों न मुसीबत में डाले आज जो हालात पूरी दुनियाँ में मुसलमानों के हैं वो इसी पागलपन का नतीजा है ।
अभी भी वक्त है कि मुसलमान सुधर जायें इस्लाम को मज़बूती से थाम लें और एक ठोस उम्मत बन जायें एंव पिछली बेवकूफ़ियाँ न दोहरायें।
(ये लेखक के निजी विचार हैं, UPUKLive की सहमति आवश्यक नहीं)