मेहदी हसन एैनी
आज मेरी ईद है,आप की भी ईद है, सब की ईद है,हम सब ईद की खुशियाँ बाँट रहे हैं.पर आप को ऐसा लग रहा है कि कहीं उदासियाँ भी हैं. ऐसा क्यों?
मेरे दिल में रह रह कर सवाल पैदा हो रहा है, कि कैसे ईद मनाऊँ? खुशियां तो कहीं गा़यब सी हो गयी हैं,ग़म है,तकलीफ़ है,एक टीस है, उन को याद करके जिनका कोई कु़सूर ना था और वो सालों से जेल की सलाखों के पीछे घुट घुट कर मर रहे हैं,उन की हर सांस उनके खुद के लिए मौत का पैगा़म देती है.
मैं सोच रहा हूँ आज उनकी बच्चियों के बारे में, उनहें ईदी कौन देगा? मै सोच रहा हुँ उनके बच्चों के सिलसिले में
उनहें ईद के मेले में कौन ले जाएगा? जो बच्चे बाप के होते हुए यतीमी की जिंदगी गुजा़र रहे हैं.
ज़रा सोचिये उन माओँ के बारे में जिनकी बूढ़ी आंखें आज अपने जिगर के टुकड़े को खोज रही हैं,उन बीवियों के बारे में जिनकी आज भी ईद ना हो सके गी. जो विवाहिता होकर भी विधवा की तरह जिंदगी गुजा़रने पर मजबूर है. मैं सोच रहा हूँ उस बाप के बारे में जो अपने बच्चे की बेगुनाही का रोना सड़क से अदालत रो कर अब कुसूरवारों को कोस रहा है.
मैं सोच रहा हुँ क्या बीत रही होगी आज याकू़ब की बीवी से लेकर फसीह और जसीम के,वालिद और बच्चों पर!!
बचपन से मैं सोच रहा हूँ कि जवान होकर ईद के जशन का मजा़ कुछ और ही होता होगा. पर ये क्या आज तो दिल को कोई खुशी ही नहीँ. मालूम नहीं आप को एैसा लग रहा है कि नहीं पर यकी़न है कि जिसके पास भी सीने में धड़कता दिल है वो ज़रूर आज सीरिया से फिलिस्तीन तक,सोमालिया से इराक़ तक,यमन से लीबिया तक,पाक से अफगा़न तक,बंगलादेश से मदीना तक, कश्मीर से गुजरात तक,दादरी से मुज़फ्फर नगर तक
के बेगुनाहों को,और उन के रिशतेदारों को ज़रूर याद करेगा.
आप ईद की खुशियाँ बांटिये,अपने बच्चों संग ईद मनाइये पर ईद की खुशिया मनाने से पहले अपने उन बेगुनाह भाइयो को जरूर याद करिऐ जो आज दहशतगर्दी के नाम पर जेलो मे बंद है अल्लाह पाक उनकी माँओ और बहनो को सब्र दे जो अपने परिवार से दूर है और उनके रिहाई के लिये दुआ करें और उनके बच्चों से ज़रूर प्यार करें और ईदी दें. उन्हें सन्तावना दें. यह हमारा और आपका अख़लाकी़ व इंसानी फ़रीजा़ है.