नई दिल्ली। तिलक नगर में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली तीन वर्षीया समरीन जब भी अपनी मां के साथ प्ले स्कूल जाती थी तो वह चौराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिस हवलदार सतपाल सिंह को खांसते देखती थी। समरीन श्वास संबंधी बीमारी की वजह से बाहर जाते समय हमेशा मास्क लगाए रखती है। एक दिन वह हेड कांस्टेबल सतपाल सिंह के पास बड़ी मासूमियत से गई और उन्हें मास्क दे आई, ताकि धूल और धुआं से उनका बचाव हो सके। समरीन की मां हेतांशी बिजान ने बताया कि मैं समरीन के इस कदम से एकदम चौंक गई। मेरी बेटी ने उस समय जो किया, मुझे उस पर गर्व हुआ। मैंने समरीन के इस कदम को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
वह कहती हैं, “यह जानते हुए कि आज के दौर में दिल्ली में इस मुद्दे पर तमाम तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, मैंने इस घटना को प्रदूषण रोकथाम की दिशा में कार्यरत कुछ संगठनों के साथ साझा किया। मैंने इस घटना की जानकारी कई संगठनों को दी, जिसमें से एक गुड़गांव की संस्था ‘हवा बदलो’ है, जो समरीन के इस कदम से काफी प्रेरित हुई।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रदूषण रोकथाम एवं इसके प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्यरत ‘हवा बदलो’ के संस्थापक सदस्य निपुण अरोड़ा ने बताया, “हमने अपनी रिसर्च में यह पता लगाया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को श्वास संबंधी बीमारियों की समस्या अधिक रहती है। जब हमने समरीन के बारे में जाना, हमें विश्वास था कि इस छोटी सी घटना में पूरे देश को प्रेरित करने की ताकत है। हमारी टीम ने इस घटना को एक वीडियो अभियान में तब्दील करने की सोची। इस अभियान के जरिए सोशल मीडिया के तहत लोगों को प्रदूषण को लेकर सचेत रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
आज समरीन की यह छोटी सी कोशिश लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। हवा बदलो अभियान के तहत समरीन के जीवन की इस वास्तविक घटना से प्रेरित एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इस वीडियो को अब तक 2,25000 से अधिक बार देखा जा चुका है। सोशल मीडिया पर ‘गिफ्ट ए मास्क’ नामक मुहिम भी शुरू की गई है, जिसके तहत लोगों को प्रदूषण के प्रति सचेत करते हुए मास्क बांटे जा रहे हैं।
समरीन ने बड़ी ही मासूमियत से बताया कि अगर मुझे मास्क की जरूरत है तो मुझे लगा कि पुलिस अंकल को भी होगी। मुझे उनके स्वास्थ्य की चिंता हो रही थी। मैं धूल से उन्हें बचाने के लिए कुछ देना चाहती थी।” विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित 20 में से 13 शहर भारत में हैं। यातायात पुलिसकर्मियों को प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। दिल्ली के 15 प्रतिशत बच्चे अस्थमा से पीड़ित हैं जबकि 44 लाख स्कूली बच्चे फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे हैं।
समरीन के इस प्रयास को ‘गेल’ कंपनी का समर्थन प्राप्त है। गेल के प्रवक्ता इंद्रनील दास ने बताया कि गेल प्रदूषण कम करने और प्राकृतिक गैस जैसे ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। हम हरसंभव तरीके से हवा बदलो का समर्थन कर रहे हैं, जो इस नन्ही बच्ची समरीन के कदम से प्रेरित है। इसके तहत दिल्ली पुलिस यातायात कर्मियों को बड़े स्तर पर मास्क बांटे जा रहे हैं। समरीन का यह नि:स्वार्थ प्रयास लाखों लोगों को प्रेरणा दे रहा है। इसलिए समरीन के मां-बाप ने उसे इस ओर मोड़ दिया है। अब समरीन चौराहों पर खड़े यातायात पुलिसकर्मियों को मास्क बांटकर प्रदूषण को लेकर जागरूकता फैला रही है और जन-जन में अलख जगा रही है।