
महनाज बताती है कि पिछले 10 साल से मंदिरों में श्रद्धालुओं की सेवा करती आ रही हैं। उनका मानना है कि उन्हें हनुमान जी की सेवा करने से कोई नहीं रोक सकता। महनाज बताती हैं, स्कूल से लौटते समय वो अक्सर मंदिर जाकर मत्था टेकती थीं और तिलक लगाकर घर आती थीं। माथे पर टीका देख कई बार घरवाले हैरत में पड़ जाते थे और सवाल करते थे कि तुम मंदिर क्यों गईं, तुम तो मुस्लिम हो। लेकिन उनकी आस्था के आगे उनका परिवार भी झुक गया और अब उनसे कोई कुछ नहीं कहता। इस साल जून महीने में रमजान शुरू हो गए। वहीं, बड़े मंगल की भी शुरुआत हुई। एक बार तो बड़ा मंगल और रोज़ा एक ही दिन पड़ गया।