वरिष्ठ संवाददाता | UPUKLive
काशीपुर। एक दुकाननुमा कमरे में चल रहे प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराने आना गर्भवती को महंगा पड़ गया। कथित महिला डाक्टर ने सुरक्षित प्रसव कराने का दस हजार रुपये में ठेका ले लिया। वह प्रसव तो करा नहीं पाई मगर गर्भवती और पेट में ही बच्चे की मौत हो गई। कथित महिला डाक्टर और आशा कार्यकत्री गायब हुई तो आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा काटा।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने समझाबुझाकर आक्रोशित लोगों को शांत किया। पुलिस अस्पताल संचालकों की तलाश कर रही है। फिलहाल परिजन शव को पीएम कराने से इनकार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार स्टेडियम नागनाथ मंदिर बाईपास रोड पर किराए के दो छोटे कमरों में प्राइवेट अस्पताल खुला है। अस्पताल के बाहर बोर्ड में दो महिला डाक्टरों के नाम और नीचे डिग्रियां भी दर्ज हैं।
रविवार की शाम ग्राम शिवलालपुर अमर झंडा निवासी इरशाद की गर्भवती पत्नी नरगिस (20) का शव पड़ा था। शव के पास महिलाएं बिलखकर हंगामा कर रही थी। सूचना मिलने पर बांसफोड़ान चौकी प्रभारी सुनील बिष्ट फोर्स के साथ वहां पहुंच गए।
मृतका के पति इरशाद ने बताया कि सरकारी अस्पताल में मिली एक आशा कार्यकर्ता उनको अस्पताल में लेकर आई थी, जहां महिला डाक्टर थी। उसकी पत्नी की डिलीवरी का समय पूरा हो गया था। डाक्टर ने जांच करने के बाद तीन घंटे के भीतर सामान्य डिलीवरी कराने का भरोसा दिया। इसकी एवज में उनसे 10 हजार रुपये भी जमा करवाए गए। डाक्टर ने नरगिस को इंजेक्शन लगाकर ग्लूकोज चढ़ाया।
काफी समय बाद बाहर आई डाक्टर ने कुछ समय बाद डिलीवरी होने की बात कही। यह कहने के बाद वह वहां से चली गई और आशा कार्यकर्ता भी खिसक गई। कुछ समय तक इंतजार करने के बाद उन्होंने कमरे में जाकर देखा तो नरगिस मृत पड़ी थी। उनको अंदेशा है कि गलत इंजेक्शन लगाने से नरगिस की मौत हुई है। एसआई सुनील बिष्ट ने बताया कि दो कमरों में खुला अस्पताल फर्जी लग रहा है। फिलहाल संचालक का पता नहीं चल सका है। परिजन पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं है। तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही की जाएगी।