गृह मंत्रालय के द्वारा कराई गई आत्महत्याओं की गणना जो कि जाति और धर्म के आधार पर कराई गई थी की रिपोर्ट के अनुसार सिख और मुस्लिम समुदाय में आत्महत्या करने के मामले सबसे कम हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई पर सामने आए डाटा के अनुसार, ईसाइयों में आत्महत्या की दर 17.4 फीसदी है, जबकि हिन्दुओं में यही दर 11.3 फीसदी है। मुस्लिम 7 फीसदी और सिख 4.1 फीसदी आत्महत्या दर के साथ सबसे नीचे हैं।
आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.6 फीसदी है। आत्महत्या की दर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए सुसाइड पर आधारित हैं। इस दर को किसी समाज, समुदाय या देश में किसी समस्या का असली पैमाना माना जाता है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार देश की जनसंख्या का 2.3 प्रतिशत ईसाई धर्म मानने वाले हैं, लेकिन आत्महत्याओं में उनका हिस्सा 3.7 प्रतिशत है। आत्महत्याओं में हिन्दुओं की भागीदारी भी (83%) जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी (79.8%) से ज्यादा है।
जाति और आरक्षण एक्सपर्ट एवं कल्याण मंत्रालय के पूर्व सेक्रेट्री पीएस कृष्णन के अनुसार, इन आंकड़ों को सामाजिक-आर्थिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार, “लोग बेचारगी में आत्महत्या करते हैं। ऐसे कई आर्थिक और सामाजिक कारण हैं जो आत्महत्या की वजह बनते हैं। स्वास्थ्य भी एक बड़ी वजह है जो लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर करता है।”
गोरतलब रहें कि 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर तैयार किया था। इसे 2015 में सार्वजनिक किया जाना था, मगर गृह मंत्रालय ने कभी डाटा रिलीज ही नहीं किया।