बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर हुए बम धमाकों के संदेह में गिरफ़्तार किए गए निसारुद्दीन अहमद 23 साल बाद निर्दोष सिद्ध होने पर रिहा हो गए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उच्चतम न्यायालय के आदेश पर जयपुर जेल से रिहा होने निसार ने बताया कि जब वे जयुपर से बाहर निकलेतो देखा कि उनके भाई ज़हीरुद्दीन उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने अपने पैरों में बहुत भारीपन महसूस किया, मैं जम सा गया था और एक क्षण के लिए भूल ही गया कि मैं रिहा हो चुका हूं। निसारुद्दीन अहमद को 23 साल पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर हुए धमाके के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना में दो यात्री मारे गए और 8घायल हो गए थे। फ़ार्मेसी के छात्र नासिर को पुलिस ने कर्नाटक के गुलबर्गा से उठा लिया था। वे 23 साल तक जेल में रहे लेकिन पुलिस एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई।
निसार ने कहा कि मैंने अपने जीवन के बेहतरीन 8150 दिन जेल में बिता दिए, मेरे लिए जीवन समाप्त हो चुका है और जो आप देख रहे हैं वह एक ज़िंदा लाश है। उन्होंने कहा कि अभी में बीस साल का भी नहीं हुआ था कि मुझे जेल में ठूंस दिया गया और आज मैं 43 साल का हूं। जब मैंने अपनी छोटी बहन को आख़री बार देखा था तो वह 12 साल की थी अब उसकी बेटी 12 साल की है। मेरी भतीजी एक साल की थी और अब उसकी भी शादी हो चुकी है। मेरी चचेरी बहन मुझसे दो साल छोटी थी और अब वह दादी बन चुकी है। उन्होंने कहा कि मेरी जीवन से एक पूरी पीढ़ी गु़ज़र चुकी है।
निसारुद्दीन अहमद को 15 जनवरी 1994 को गुलबर्गा में उनके घर के पास से उठाकर हैदराबाद लाया गया था। वे उस समय फ़ार्मेसी के दूसरे साल के छात्र थे। उन्होंने बताया कि पंद्रह दिन बाद उनकी परीक्षा होने वाली थी और वे काॅलेज जा रहे थे कि एक पुलिस वैन उनके रास्ते में खड़ी थी, एक व्यक्ति ने मुझे रिवाॅल्वर दिखाया और वैन में बैठने पर विवश किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक पुलिस को मेरी गिरफ़्तारी के बारे में कुछ पता नहीं था और वह टीम हैदराबाद से आई थी और मुझे लेकर सीधे हैदराबाद गई।