जोधपुर। जोधपुर में बने 'आदर्श मुस्लिम गौशाला'ने दुनिया में नफरत फैलाने वालों के लिए मिसाल प्रस्तुत की है और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया है। बीकानेर रोड पर बने इस गौशाला को मुस्लिम एजुकेश्नल एंड वेलफेयर सोसाइटी ऑफ जोधपुर द्वारा चलाया जाता है। यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा गौशाला है जिसमें 200 से ज्यादा गायें हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पिछले आठ सालों से चल रहे इस गौशाला में कई गायें बूढ़ी और बीमार भी हैं जिनके लिए पशुचिकित्सक की व्यवस्था भी की गई है जो इन गायों की देखभाल करते हैं। गौशाल को चलाने वाली संस्था के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद अतीक कहते हैं कि गायों की देखभाल करना मां की सेवा करने के समान है और ये भारत की संस्कृति का हिस्सा हैं। आतिक बताते हैं कि इस गौशाल की गायों के भोजन के लिए रोज एक ट्रक शहर के लूणी तहसील जाता है और वहां से चारा भरकर लाया जाता है।
कहां से आती हैं ये गायें
रोज दोपहर (असर) की नमाज के बाद आतिक गौशाला जाते हैं और गायों को चारा खिलाते हैं। वे बताते हैं कि गौशाला में 200 से ज्यादा गायें हैं। इन्हें शहर के विभिन्न इलाकों से यहां पर लाया जाता है। इनमें वो गायें शामिल हैं जिन्हें या तो उनके मालिक बृद्ध होने के कारण छोड़ देते हैं या फिर जो बीमारियों से ग्रस्त होकर गलियों में भटकने के मजबूर होती हैं।
ईद और ईद-ए-मिलाद पर गायों को खिलाते हैं खीर
अतीक ईद और ईद-ए-मिलाद जैसे शुभ दिनों में इन गायों को खीर खिलाते हैं और फिर आस-पास के गावों में बीमार गायों के इलाज के लिए निकल जाते हैं। वे इनका इलाज फ्री में करते हैं। गायों के लिए वे हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा खर्च करते हैं। दरअसल अतीक मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी चलाते हैं। यह 56 एकड़ में फैला है। वे इस यूनिवर्सिटी के एग्रिकल्चर डिपार्टमेंट के तहत गाय रिसर्च सेंटर खोलने की तैयारी में हैं।
दुश्मन हुए मुरीद
अतीक के इस काम पर कई असमाजिक तत्वों ने पहले सवाल खड़े किए कि एक मुस्लिम कैसे एक मुस्लिम गौशाला चला सकता है। यह भी आरोप लगे कि वे इस गौशाला की आड़ में बीफ का व्यापार करते हैं। लेकिन जब उन्हें इनके काम के बारे में पता चला तो वो भी इनके मुरीद हो गए। वो आलोचना करने वाले लोग अब सामने आए और खुलकर अतीक का समर्थन किया।
अतीक बताते हैं कि उनकी संस्था के कई लोग और छात्र मेंबर हैं जो गायों पर जंगली जानवरों के हमलों से बचाने में मदद करते हैं। अतीक मानते हैं कि एक पशु जिसका दूध मां के दूध के बाद सबसे ज्यादा फायदेमंद है वो कैसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने में चिंगारी का काम कर सकती है।