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आपबीती: बंदर-कुत्ते का मांस खिलाते थे लुटेरे

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वाराणसी। नाइजीरिया में समुद्री डाकुओं द्वारा किडनैप किए जाने के 46 दिन बाद बुधवार की देर रात संतोष भरद्वाज बनारस पहुंचे। परिवार के पास लौटने की खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। 46 दिनों की खौफनाक कहानी भी उन्होंने बताई। भारद्वाज ने बताया कि कैद में रहने के दौरान उन्हें ठीक से खाना भी नहीं मिलता था।
इन 46 खौफनाक दिनों के बारे उन्होंने कहा, '25 मार्च को हम पांच लोग नाइजीरिया से जहाज से निकले तभी अचानक हमें समुद्री लुटेरों ने घेर लिया। वे चारों तरफ से गोलियां चलाने लगे। हम लोग छिप गए। डाकुओं ने जहाज अपने कब्जे में ले लिया। फिर वे हमें सूनसान टापू पर ले गए। वहां हमें कुत्ते और बंदर का मांस खिलाया गया।'

एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार भारद्वाज ने बताया कि खाने-पीने की परेशानी के साथ कोई और बड़ी मुश्किल नहीं थी। उन्होंने कहा, 'लुटेरों ने हमारे साथ मारपीट नहीं की। हमारी शिपिंग कंपनी से रिहाई के बदले मोटी रकम मांगी गई थी। मांग पूरी होने पर उन्होंने हमें रिहा कर दिया।'संतोष सिंगापुर की एक शिपिंग कंपनी में इंजिनियर के तौर पर काम करते हैं।

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