उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाना केंद्र सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार के सहयोगी दल शिवसेना ने भी इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना'में कहा है कि जल्दीबाजी में उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाकर शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास किया और वे खुद चित हो गए।
सामना में लिखा गया है कि उत्तराण्ड में जो हुआ उससे भाजपा ने कांग्रेस को जीत का ढोल बजाने का मौका दे दिया है इससे भाजपा की भद्द पिटी है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए शिवसेना ने कहा है कि जो कुछ भी हुआ है वो पीएम की मर्जी से हुआ होगा। इस वजह से देश की जनता उन्हें दूर से ही दंडवत कर रही है। मुखपत्र में लिखा गया है कि कि उत्तराखण्ड मामले में कोर्ट का हस्तक्षेप सत्ता के लोगों की गलतियों से हुआ है।
संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि 'तानाशाह मत बनो, तानाशाह हिटलर का भी गर्व, अहंकार खत्म हो गया था और खंदक में उसे गोली मारनी पड़ी, इसलिए लोकतंत्र के महत्व को समझो।'शिवसेना ने उत्तराखण्ड के पूरे घटनाक्रम को भाजपा की इज्जत से जोड़ते हुए कहा कि जनता ने राज करने के लिए दोधारी तलवार दी है, इससे अपनी नाक खुद मत काटो, उत्तराखण्ड में यही हुआ है।'