नई दिल्ली। इस बात को करीब 25 साल हो गए जब देश के आर्थिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशकों और प्राइवेट उद्यमियों के लिए खोल दिया गया। ऐसा सोचा गया था कि इससे पब्लिक सेक्टर पर नौकरियों का दबाव कम होगा। लेकिन, इतने सालों के बाद भी भारत में आम लोगों में सरकारी नौकरी ही आकर्षण का केंद्र है। सरकारी नौकरी के प्रति इस आकर्षण के कई कारण हैं। कुछ लोग तो आर्थिक सुरक्षा की नजर से इसे देखते हैं, कुछ काम के सीमित घंटे तो कुछ लोग ऊपर की कमाई के कारण पब्लिक सेक्टर को तरजीह देते हैं।
टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारी एक कैंडिडेट का जवाब सुनकर दंग रह गए। मामला कुछ यूं है, सैकड़ो युवा कैंडिडेट ने हाल ही में पब्लिक सेक्टर के भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) में नौकरी करने की इच्छा जताई। हालांकि, सबको मालूम है कि बीएमबी अन्य बैंकों की तुलना में नया बैंक है और जल्द ही इसका विलय पब्लिक सेक्टर के किसी अन्य पुराने बैंक में हो जाएगा यानी बीएमबी का भविष्य तय नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद कैंडिडेट की दिलचस्पी देखते हुए जब अधिकारियों ने इसकी वजह पूछी तो बीएमबी के लिए चुने गए करीब 300 कैंडिडेट में से एक ने इसका कारण 'ऊपर की कमाई'को बताया। यह बात छात्र ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की एक टीम के सामने कही जहां वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा भी मौजूद थे।
बैंक का भविष्य अनिश्चित देखते हुए बीएमबी ने छात्रों को नियुक्ति पत्र जारी करने में सुस्ती लाने का फैसला किया है। इसके बाद सिन्हा ने बीएमबी के कैंडिडेट्स के साथ कुछ चरणों में मीटिंग की थी जिस दौरान यह बात सामने आई। उन्होंने कुछ अन्य कैंडिडेट्स से भी मुलाकात की जिनको आईडबीआई बैंक में जॉइन करने के लिए चुना गया था। आईडीबीआई में सरकार अपना हिस्सा घटाकर 50 फीसदी से कम करने पर गौर कर रही है। इस बात को लेकर इन छात्रों में काफी आक्रोश पाया गया क्योंकि उनलोगों ने तो 'सुरक्षित'पब्लिक सेक्टर की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन अब यह प्राइवेट सेक्टर में बदलने जा रहा है।
पब्लिक सेक्टर के प्रति दिलचस्पी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एक कैंडिडेट ने बताया कि सरकारी बैंकों में काम समय पर खत्म हो जाता है। इससे उनको सामाजिक जीवन में समय देने का मौका मिल जाता है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में रात के 9 बजे तक काम होता है। कुछ कैंडिडेट का मानना था कि पब्लिक सेक्टर की नौकरी सुरक्षित है और कम काम करना पड़ता है। सिर्फ एक छात्र ने कहा कि सिर्फ पब्लिक सेक्टर के बैंक में काम करके ही वह वित्तीय समावेश के लिए काम कर सकते हैं।
इन टिप्पणियों से पता चलता है कि पब्लिक सेक्टर में सुधार और सेल्स को बढ़ावा देने के प्रयास में सरकार को किन बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।